बारिश का कहर: डैम का जलस्तर बढ़ा, 43 गांव डूबे, कई सड़क मार्ग बंद, प्रशासन की गैरमौजूदगी पर सवाल….

पिछले तीन दिनों से हो रही लगातार बारिश के कारण चांडिल डैम के किनारे बसे 43 गांवों में पानी घुस गया, जिससे जन-जीवन बुरी तरह प्रभावित हो गया है. डैम के जलस्तर में अचानक हुई बढ़ोतरी के चलते कई लोग बेघर हो गए हैं और गांवों की मुख्य सड़कों पर पानी भरने से मार्ग अवरुद्ध हो गए हैं. पातकुम से ईचागढ़ होते हुए मिलनचौक और डूमटांड़ जाने वाली सड़कें पूरी तरह से डूब चुकी हैं, जिससे आवागमन ठप हो गया है. ईचागढ़ गांव पूरी तरह जलमग्न हो गया है, और स्थानीय लोग अपनी जान बचाने के लिए बोट या तैरकर सुरक्षित स्थानों की ओर जा रहे हैं. चांडिल डैम के 13 रेडियल गेटों में से 12 को खोल दिया गया है, जिससे करीब 3750 क्युमेक पानी छोड़ा जा रहा है. इससे एनएच-33 से जयदा मंदिर तक जाने वाले मार्ग का पुल भी पानी में डूब गया है, जिससे मंदिर अब एक टापू की तरह दिखने लगा है. मंदिर तक पहुंचने के लिए कोई वैकल्पिक मार्ग नहीं बचा है, और कई श्रद्धालु पूजा के लिए पहुंचे लेकिन उन्हें भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा.

प्रशासनिक उपेक्षा और विस्थापितों का विरोध

वहीं, स्थानीय प्रशासन की नाकामी और क्षेत्र में किसी भी प्रशासनिक अधिकारी के न पहुंचने से स्थानीय लोगों में रोष है. चांडिल डैम के जलस्तर को लेकर विवाद तब और बढ़ गया जब विस्थापितों के नेता गुरुचरण साव ने शुक्रवार सुबह 10 बजे तक जलस्तर 181 मीटर पर नहीं पहुंचने की स्थिति में चांडिल डैम में कूदने की धमकी दी. उन्होंने बताया कि 28 जुलाई को हुई आपदा प्रबंधन की बैठक में तय हुआ था कि डैम का जलस्तर 181 मीटर पर रखा जाएगा, जैसा कि पिछले साल किया गया था. इसके बावजूद, स्वर्ण रेखा विभाग के अधिकारियों ने जलस्तर 183 मीटर से भी ऊपर जाने दिया, जिससे यह संकट पैदा हुआ. गांवों में पानी घुसने की सूचना मिलते ही, भाजपा नेता विनोद राय ने राहत सामग्री पहुंचाई, लेकिन प्रशासनिक अधिकारी अब तक मौके पर नहीं पहुंचे हैं. स्थानीय नेताओं द्वारा लोगों को दस रुपये के मुड़ी (पफ्ड राइस) के पैकेट बांटने से विस्थापितों की नाराजगी और बढ़ गई है. गुरुचरण साव ने आरोप लगाया कि जब चांडिल डैम में एक प्राइवेट कंपनी का विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ था, तो झारखंड के अलावा दूसरे राज्यों से भी प्रशासनिक टीमें सक्रिय हो गई थीं. लेकिन अब, जब 43 गांव पानी में डूब चुके हैं, कोई प्रशासनिक हरकत नहीं हो रही है.

मुख्य सड़कें बंद, ग्रामीणों की मुश्किलें बढ़ीं

चांडिल डैम के सभी रेडियल गेट खोले जाने के बाद डैम के नीचे बनी पुलिया पर पानी भर जाने और पुलिया टूटने के खतरे को देखते हुए प्रशासन ने चांडिल जाने वाली मुख्य सड़क को बंद कर दिया है. अब चांडिल अनुमंडल कार्यालय जाने के लिए 20 किलोमीटर का अतिरिक्त रास्ता तय करना पड़ रहा है, जिससे लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. लोगों का कहना है कि प्रशासन ने सड़क मार्ग बंद करने का फैसला देर से लिया, जिसके कारण कई लोग पहले ही प्रभावित हो चुके थे.

चौका ओवरब्रिज में दरारें, मरम्मत कार्य जारी

लगातार बारिश के चलते चौका मोड़ पर बने ओवरब्रिज में भी दरारें पड़ गई हैं. मंगलवार को ओवरब्रिज की प्लेट का एक हिस्सा टूटकर गिर गया, जिससे वहां मौजूद लोगों में अफरा-तफरी मच गई. ओवरब्रिज के टूटने की वजह से इसके नीचे खड़े लोग सुरक्षित स्थानों की ओर भागे. एनएचआई के अधिकारी आनंद सिंह ने बताया कि ओवरब्रिज की मरम्मत का काम बुधवार शाम से शुरू हो गया है, लेकिन इस बीच लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी गई है, क्योंकि ओवरब्रिज में दरारें अभी भी बनी हुई हैं और प्लेट के गिरने का खतरा बरकरार है.

राहत और पुनर्वास कार्यों में कमी

विस्थापितों का कहना है कि क्षेत्र में 43 गांव डूब चुके हैं, बावजूद इसके अभी तक किसी वरीय प्रशासनिक अधिकारी ने स्थिति का जायजा नहीं लिया है. ग्रामीणों को राहत सामग्री और पुनर्वास की जरूरत है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. लोगों का कहना है कि अगर जल्द ही राहत और बचाव कार्य नहीं शुरू किया गया, तो स्थिति और भी खराब हो सकती है. प्रभावित गांवों में पानी भरने के कारण लोगों के घर, फसलें, और पशु सब कुछ डूब चुके हैं, जिससे उनका आर्थिक नुकसान भी हो रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि सरकार को इस आपदा की गंभीरता को समझते हुए जल्द से जल्द राहत और पुनर्वास कार्य शुरू करना चाहिए ताकि प्रभावित परिवारों को जल्द से जल्द सहायता मिल सके.

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