झारखंड के चार महत्वपूर्ण जिले—गुमला, खूंटी, चतरा और सिमडेगा—जल्द ही देश के रेल नेटवर्क से जुड़ने जा रहे हैं. राज्य सरकार ने इन जिलों को रेल कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए तैयार की गई रिपोर्ट रेलवे बोर्ड को स्वीकृति के लिए भेज दी है. यह योजना झारखंड रेल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (जेआरआईडीसीएल) द्वारा तैयार की गई है, जिसने इन जिलों के लिए रेल मार्गों का सर्वे पूरा कर लिया है.
रेल कनेक्टिविटी का प्रस्ताव
गुमला, खूंटी और सिमडेगा जिलों को रांची-लोहरदगा रेल मार्ग में जोड़ने की योजना बनाई गई है, जबकि चतरा जिले को रांची-हजारीबाग रोड रेल मार्ग से जोड़ा जाएगा. सर्वे के अनुसार, लोहरदगा से गुमला तक 55 किलोमीटर, गुमला से सिमडेगा तक 43 किलोमीटर, हटिया से खूंटी तक 20 किलोमीटर, और हजारीबाग से चतरा तक 42 किलोमीटर लंबी नई रेल लाइनें बिछाई जाएंगी.
मुख्यमंत्री के निर्देश पर बनी उच्चस्तरीय कमेटी
झारखंड के रेल प्रोजेक्ट्स को गति देने के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया था. इस कमेटी के अध्यक्ष विकास आयुक्त थे, और इसमें योजना एवं वित्त विभाग, राजस्व निबंधन और भूमि सुधार विभाग, पथ निर्माण विभाग और परिवहन विभाग के सचिवों को शामिल किया गया था. इस कमेटी ने गुमला, सिमडेगा, खूंटी और चतरा जिलों को रेल नेटवर्क से जोड़ने की सिफारिश की.
आर्थिक और सामाजिक लाभ
इन जिलों को रेल नेटवर्क से जोड़ने से स्थानीय लोगों को आवागमन के बेहतर साधन मिलेंगे. वर्तमान में, इन जिलों के लोग सड़क मार्ग पर निर्भर हैं, जिससे यात्रा में अधिक समय और पैसे खर्च होते हैं. इसके अलावा, इन जिलों में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे, क्योंकि रेल कनेक्टिविटी से आर्थिक गतिविधियां तेज होंगी. इन क्षेत्रों में व्यापार, उद्योग और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा.
देवघर एम्स के लिए भी तैयार हो रहा रेल मार्ग
झारखंड में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए जसीडीह से कोरोडीह होते हुए देवघर एम्स तक 55 किलोमीटर लंबी रेल लाइन का सर्वे भी पूरा हो गया है. इस परियोजना के तहत एक नया रेलवे स्टेशन—देवीपुर—बनाने की योजना है. इस रेल लाइन के माध्यम से राजधानी रांची से देवघर एम्स तक सीधी कनेक्टिविटी मिलेगी, जिससे राज्य के विभिन्न जिलों के लोग लाभान्वित होंगे.
राज्य सरकार का प्रयास
झारखंड रेल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड को राज्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए रेल परियोजनाओं की पहचान, योजना निर्माण और विकास के लिए निर्देश दिए गए हैं. इस परियोजना से जनजातीय और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के लोगों को भी फायदा होगा. सिमडेगा जैसे जिलों के निवासी, जो अभी ओडिशा जाकर ट्रेन पकड़ते हैं, उन्हें अब स्थानीय रेलवे स्टेशन से यात्रा करने का विकल्प मिलेगा.
डीपीआर बनते ही शुरू होगा काम
रेलवे बोर्ड से मंजूरी मिलने के बाद इन परियोजनाओं का डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार किया जाएगा. राज्य सरकार का मानना है कि इन जिलों को रेल नेटवर्क से जोड़ने से न केवल लोगों का जीवन सरल होगा, बल्कि राज्य के विकास को भी नई दिशा मिलेगी.