डीएसपीएमयू में शिक्षकों की भारी कमी से प्रभावित हो रही क्वालिटी एजुकेशन…..

रांची के डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी यूनिवर्सिटी (डीएसपीएमयू) में शिक्षकों की कमी के कारण क्वालिटी एजुकेशन बुरी तरह प्रभावित हो रही है. यूनिवर्सिटी में 75% शिक्षकों के पद खाली हैं, और पिछले 16 वर्षों से कोई नियमित नियुक्ति नहीं हुई है.

16 वर्षों से रिक्त पदों पर नियुक्ति नहीं

वर्ष 2018 में रांची कॉलेज को अपग्रेड कर यूनिवर्सिटी का दर्जा दिया गया था. तब उम्मीद थी कि शिक्षकों और स्टाफ की कमी जल्द पूरी होगी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका. डीएसपीएमयू में कुल 166 शिक्षकों के पद सृजित हैं, लेकिन वर्तमान में केवल 40 शिक्षक कार्यरत हैं. 126 पद (कुल पदों का 75%) खाली हैं, और क्लास एडहॉक शिक्षकों के भरोसे चल रही हैं.

एनईपी लागू, लेकिन शिक्षकों की भारी कमी

डीएसपीएमयू में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के सिलेबस के अनुसार पढ़ाई हो रही है. हालांकि, छात्रों की संख्या के अनुपात में शिक्षकों की कमी बड़ी समस्या बनी हुई है. यूनिवर्सिटी में लगभग 16 हजार छात्र नामांकित हैं, लेकिन प्रोफेसर रैंक का एक भी शिक्षक नहीं है. एसोसिएट प्रोफेसर के कुछ ही पद भरे हुए हैं.

अस्थायी शिक्षकों के सहारे चल रही पढ़ाई

कामचलाऊ व्यवस्था के तहत यूनिवर्सिटी ने चार दर्जन नीड बेस्ड असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्त किए हैं. लेकिन यह व्यवस्था क्वालिटी एजुकेशन देने में असफल साबित हो रही है.

शिक्षकों की नियुक्ति में देरी

वर्ष 2018 में झारखंड के सभी विश्वविद्यालयों में 1118 असिस्टेंट प्रोफेसर (रेगुलर और बैकलॉग) की नियुक्ति के लिए प्रक्रिया शुरू की गई थी. रांची कॉलेज, जो उस समय रांची यूनिवर्सिटी के अंतर्गत था, ने भी रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए प्रस्ताव भेजा था. लेकिन, रांची कॉलेज को यूनिवर्सिटी का दर्जा मिलने के कारण यह प्रक्रिया लटक गई.

नियुक्ति प्रक्रिया पर अड़चनें

डीएसपीएमयू के प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, और असिस्टेंट प्रोफेसर के सृजित पदों का रोस्टर क्लियर कर झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) को प्रस्ताव भेजा गया है. लेकिन, जेपीएससी के अध्यक्ष का पद पिछले चार महीने से खाली है. जब तक अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं होती, शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकती.

शिक्षकों की कमी का असर

डीएसपीएमयू में शिक्षकों की भारी कमी से छात्रों की पढ़ाई पर गहरा असर पड़ रहा है. कई कोर्स अस्थायी शिक्षकों के सहारे चलाए जा रहे हैं. लेकिन यह व्यवस्था न तो स्थायी है और न ही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित कर पा रही है.

भविष्य की उम्मीदें

शिक्षकों की कमी को लेकर छात्रों और अभिभावकों में निराशा है, लेकिन रोस्टर क्लियर होने और प्रस्ताव जेपीएससी को भेजे जाने से उम्मीद जगी है. हालांकि, जेपीएससी के अध्यक्ष की नियुक्ति और आगे की प्रक्रिया शुरू होने में कितना समय लगेगा, यह स्पष्ट नहीं है.

जरूरी कदम उठाने की आवश्यकता

डीएसपीएमयू जैसे बड़े शिक्षण संस्थान में शिक्षकों की कमी गंभीर समस्या है. क्वालिटी एजुकेशन सुनिश्चित करने के लिए शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया को प्राथमिकता देनी होगी. छात्रों के भविष्य को देखते हुए यह आवश्यक है कि सरकार और संबंधित संस्थाएं जल्द से जल्द इस समस्या का समाधान निकालें.

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