108 एंबुलेंस चालकों का वेतन और नियुक्ति को लेकर डीसी ऑफिस के समक्ष विरोध प्रदर्शन….

जमशेदपुर में सोमवार को 108 एंबुलेंस के चालकों ने समय पर वेतन भुगतान की मांग को लेकर उपायुक्त (डीसी) कार्यालय के समक्ष जोरदार प्रदर्शन किया. प्रदर्शन के दौरान चालकों ने अपनी मांगों को लेकर एक ज्ञापन उपायुक्त अनन्य मित्तल को सौंपा, जिसमें प्रमुख मांग यह थी कि उन्हें आउटसोर्स कंपनी के बजाए राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) के तहत सीधे अनुबंध पर नियुक्त किया जाए. चालकों ने कहा कि आउटसोर्सिंग से उनकी समस्याएं बढ़ रही हैं, और वे चाहते हैं कि वेतन का भुगतान सीधे उनके बैंक खातों में हो, ताकि उन्हें हर महीने समय पर वेतन मिल सके. प्रदर्शन में शामिल एंबुलेंस चालक 11 एंबुलेंस के साथ डीसी ऑफिस पहुंचे थे, जहां उन्होंने सरकार और जिला प्रशासन के खिलाफ नाराजगी व्यक्त की. जमशेदपुर जिले में लगभग 60 एंबुलेंस का संचालन होता है, जिनमें से अधिकतर का संचालन एनआरएचएम के अंतर्गत किया जा रहा है. लेकिन चालकों और इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियनों (ईएमटी) की नियुक्ति और वेतन का भुगतान एनआरएचएम द्वारा आउटसोर्स की गई कंपनियों के माध्यम से किया जाता है. इसी व्यवस्था से नाराज चालकों ने इस प्रदर्शन का आयोजन किया.

चालकों की मुख्य मांगें:

प्रदर्शनकारी चालकों का कहना है कि आउटसोर्स कंपनियों के माध्यम से नियुक्ति और वेतन भुगतान में अनियमितता का सामना करना पड़ता है. कई बार वेतन में देरी होती है, जिसके कारण उन्हें आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. उनका कहना है कि वे सीधे एनआरएचएम के अनुबंध पर काम करना चाहते हैं ताकि वेतन और अन्य सुविधाओं में पारदर्शिता बनी रहे. चालकों की एक और प्रमुख मांग थी कि वेतन का भुगतान सीधे उनके खातों में किया जाए, ताकि उन्हें हर महीने समय पर अपनी मेहनत का फल मिल सके. प्रदर्शनकारियों ने जोर देकर कहा कि यदि उनकी मांगें अगले दो दिनों में पूरी नहीं होतीं, तो वे सभी 108 एंबुलेंस को सिविल सर्जन कार्यालय में खड़ा कर देंगे और सेवाएं पूरी तरह से ठप कर देंगे. उनका कहना है कि यह कदम उन्हें मजबूरी में उठाना पड़ रहा है क्योंकि पिछले कई महीनों से उन्हें वेतन समय पर नहीं मिल पा रहा है, और अब उनके पास विरोध प्रदर्शन के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा है.

आउटसोर्सिंग व्यवस्था पर सवाल:

चालकों का आरोप है कि आउटसोर्सिंग की व्यवस्था से न सिर्फ उनकी वेतन संबंधी समस्याएं बढ़ रही हैं, बल्कि नौकरी की सुरक्षा भी खतरे में है. आउटसोर्सिंग कंपनियों के जरिए काम करने से उन्हें समय पर वेतन नहीं मिल रहा है और कई बार उनके वेतन में कटौती भी कर दी जाती है, जिसका कोई स्पष्ट कारण उन्हें नहीं बताया जाता. इसके साथ ही, आउटसोर्स कंपनियों के जरिए अनुबंध होने से उनका नौकरी में स्थायित्व भी समाप्त हो गया है. उनका कहना है कि एनआरएचएम के साथ सीधे अनुबंध होने से न केवल वेतन की समस्याएं हल होंगी, बल्कि उन्हें नौकरी की सुरक्षा भी मिलेगी. चालकों के अनुसार, आउटसोर्सिंग से न केवल आर्थिक समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं, बल्कि उन्हें काम करने में भी कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. उनका कहना है कि अगर उन्हें सीधे एनआरएचएम के अनुबंध पर रखा जाता है, तो उनकी स्थिति में सुधार आ सकता है और वे अपने काम पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगे.

प्रशासन की प्रतिक्रिया:

प्रदर्शन के बाद जिला प्रशासन की ओर से इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, अधिकारियों ने चालकों की समस्याओं को गंभीरता से लिया है और इस मामले का समाधान निकालने का आश्वासन दिया है. हालांकि, अभी तक इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. चालकों का कहना है कि वे प्रशासन से उचित कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं, ताकि उनकी समस्याओं का जल्द से जल्द समाधान हो सके.

आंदोलन का असर:

प्रदर्शनकारी चालकों का कहना है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे अपने आंदोलन को और भी बड़ा करेंगे और सभी 108 एंबुलेंस को सिविल सर्जन कार्यालय में खड़ा कर देंगे. इससे जिले में 108 एंबुलेंस सेवा पूरी तरह से ठप हो जाएगी, जिससे आम जनता को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. एंबुलेंस सेवाओं पर निर्भर मरीजों और उनके परिजनों को इस विरोध का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है, खासकर इमरजेंसी की स्थिति में. चालकों ने यह भी चेतावनी दी है कि अगर प्रशासन उनकी मांगों को अनदेखा करता है, तो वे राज्यव्यापी आंदोलन की तैयारी करेंगे. उनका कहना है कि उनकी समस्याओं का समाधान करना प्रशासन की जिम्मेदारी है, और अगर समय रहते इसका समाधान नहीं हुआ, तो वे मजबूरन सेवा बंद कर देंगे.

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