सिंदरी के फर्टिलाइजर प्लांट में इसी साल दिसंबर से उत्पादन शुरू हो जाएगा। यहां खाद उत्पादन शुरू होने से कम से कम 450 लोगों को प्रत्यक्ष और 1500 से ज्यादा लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार हासिल होगा। ये जानकारी राज्यसभा में रसायन और उर्वरक मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा ने महेश पोद्दार के प्रश्न का जवाब देते हुए दिया। सदानंद गौड़ा ने सदन में बताया कि मोदी सरकार ने उर्वरक उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए एचयूआरएल ( HURL) के बंद पड़े उर्वरक संयंत्रों में फिर से उत्पादन शुरू करने की पहल की है। इसके तहत सरकार ने सिंदरी, गोरखपुर और बरौनी में प्रत्येक स्थान पर 12.7 लाख एमटी प्रति वर्ष क्षमता के गैस आधारित यूरिया संयंत्रों की स्थापना करके उससे पुन: उत्पादन शुरू करने का निर्णय लिया है।
सिंदरी कारखाना का काम हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड को दिया गया है| यहां नीम कोटेड यूरिया का उत्पादन किया जाएगा। जानकारी के मुताबिक सिंदरी खाद कारखाना में पहले की तुलना में छह गुणा अधिक उत्पादन का लक्ष्य तय किया गया है| सिंदरी समेत अन्य उर्वरक संयत्रों में ईंधन के रूप में नेफ्था की जगह प्राकृतिक गैस का प्रयोग होगा| इससे ना सिर्फ उत्पादन लागत कम होगी बल्कि पर्यावरण में कार्बन की मात्रा भी कम होगी|
आपको बता दें कि 1951 में सिंदरी में छह हजार एकड़ में ये खाद कारखाना बसाया गया था| ये कारखाना केंद्र सरकार के अधीन रहा और यहां फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड ने खाद उत्पादन की शुरुआत की|
लेकिन 2002 में ये खाद कारखाना बंद हो गया जिसके बाद 2011 में केंद्र सरकार ने सेल को कारखाना चलाने की जिम्मेदारी दी| सेल ने इस परिसर में 1.15 मिलियन टन की क्षमता का एक नया खाद कारखाना, 5.6 मिलियन टन की क्षमता का स्टील प्लांट और 1000 मेगावाट का पावर प्लांट लगाने की घोषणा की थी| लेकि बाद में सेल ने इस निर्णय को बदल दिया और फिर केंद्र सरकार ने कारखाना के लिये ग्लोबल टेंडर निकाला|
अंततः केंद्रीय कैबिनेट ने सिंदरी, गोरखपुर और बरौनी यूरिया कारखाने को चलाने के लिए एनटीपीसी, सीआईएल और इंडियन आयल कारपोरेशन लिमिटेड और एचएफसीएल को जिम्मेदारी दी|