झारखंड में अधूरे पुलों की समस्या: 200 करोड़ रुपए से बने 40 पुल बिना एप्रोच रोड के बेकार….

झारखंड राज्य में 200 करोड़ रुपए की लागत से 40 से अधिक पुलों और पुलियों का निर्माण किया गया है. इनका उद्देश्य नेशनल हाईवे, प्रखंड मुख्यालयों और गांवों को सड़क मार्ग से जोड़ना था. हालांकि, इन पुलों का उपयोग नहीं हो पा रहा है क्योंकि अफसर और इंजीनियर वहां तक पहुंचने के लिए आवश्यक एप्रोच रोड बनाना ही भूल गए. मीडिया की टीम ने राज्य के 12 जिलों में पड़ताल की, जिसमें पाया गया कि कई जगहों पर एप्रोच रोड का निर्माण नहीं हुआ है. जहां एप्रोच रोड बना भी है, उसे पुल से जोड़ा ही नहीं गया है. इसके चलते ग्रामीणों को कहीं-कहीं बांस की सीढ़ी बनाकर पुल पार करना पड़ रहा है, जिससे दर्जनों पुलों का उपयोग नहीं हो पा रहा है. यह स्थिति साफ तौर पर भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी की ओर इशारा करती है.

अधूरे निर्माण का असर

राज्य के विभिन्न जिलों में निर्माण की अनियमितताओं के उदाहरण भरे पड़े हैं. हजारीबाग जिले के बरकट्ठा प्रखंड में बरसोती नदी पर अधूरा बना पुल इसका एक उदाहरण है. वहीं, हजारीबाग में 1000 करोड़ रुपए की लागत से बन रहे एलिवेटेड कॉरिडोर का निर्माण भी अब तक अधूरा है. इस कॉरिडोर के 60 पिलर तैयार हो चुके हैं, लेकिन केवल 7 पिलरों पर सेग्मेंटल बॉक्स चढ़ाया गया है, और लंबे समय से काम बंद है. इससे स्थानीय लोगों में बाईपास बनाने की मांग जोर पकड़ने लगी है. इसी तरह, हजारीबाग के बड़कागांव प्रखंड में बाद पंचायत के रावतपारा गांव की नदी पर 5 करोड़ रुपए की लागत से पुल का निर्माण शुरू हुआ, लेकिन अब तक पूरा नहीं हो पाया है. मांडू लइयो में बिना किसी उपयोगिता के 2.87 करोड़ रुपए की लागत से पुल बनाकर छोड़ दिया गया है. एप्रोच रोड का निर्माण भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है.

बोकारो में अधूरे पुलों से परेशान लोग

बोकारो जिले में भी स्थिति कुछ अलग नहीं है. यहां 26.67 करोड़ रुपए की लागत से आठ पुल बनाने की योजना थी, लेकिन इन्हें अधूरा छोड़ दिया गया. एप्रोच रोड का भी निर्माण नहीं हुआ. अधिकारियों ने इसका कारण जमीन अधिग्रहण न होने को बताया है. पिछले एक दशक से अधिग्रहण न होने के कारण पुल निर्माण का काम ठप पड़ा है, जिससे 2 लाख से अधिक की आबादी को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

कहीं मिट्टी भरकर छोड़ा, तो कहीं पुल से पहले ही एप्रोच रोड बना दिया

पूर्वी सिंहभूम जिले के धालभूमगढ़ के नूतनगढ़ पंचायत के बांसकाठिया नाला पर आठ साल पहले 50 लाख रुपए की लागत से एक पुल बनाया गया था, लेकिन वहां अब तक एप्रोच रोड का निर्माण नहीं हो पाया है. जमीन अधिग्रहण न होने के कारण यह काम बंद पड़ा है. इसी तरह, गिरिडीह जिले के मिर्जागंज-पोबी मुख्य मार्ग पर 1.32 लाख रुपए की लागत से पुल निर्माण की योजना थी, लेकिन एप्रोच रोड न बनने के कारण यह भी अधूरा पड़ा है. जमशेदपुर में टेल्को के पास लुआबासा में स्वर्णरेखा नदी पर 12 करोड़ रुपए से पुल का निर्माण शुरू हुआ था, लेकिन इंजीनियरों ने पुल बनने से पहले ही एप्रोच रोड बनवा दिया. पुल अभी तक बनकर तैयार नहीं हुआ है, जिससे इस एप्रोच रोड का कोई उपयोग नहीं हो पा रहा है.

सरकार का आश्वासन

राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने इस मामले में कहा है कि पिछली सरकार ने कई अधूरी योजनाओं को छोड़ दिया, जिनका जनता को कोई लाभ नहीं हुआ. उन्होंने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे उन योजनाओं पर ध्यान दें, जिनसे आम जनता को सीधा लाभ हो. मंत्री ने यह भी कहा कि वे अधूरी पड़ी योजनाओं की सूची मंगवा रहे हैं और इसके कारणों का विश्लेषण करके जल्द ही इन पुलों का निर्माण पूरा करवाया जाएगा.

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