रांची स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के राष्ट्रीय कृषि उच्चतर प्रसंस्करण संस्थान के शताब्दी समारोह में शुक्रवार को शामिल होते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि झारखंड आना उनके लिए एक तीर्थयात्रा के समान है. उन्होंने भगवान बिरसा मुंडा की इस भूमि को तीर्थ की तरह नमन किया. राष्ट्रपति ने नामकुम स्थित इस संस्थान में लाह उत्पादन से संबंधित प्रदर्शनी का अवलोकन किया और अपने संबोधन में कहा कि झारखंड का जनजातीय समाज लाह उत्पादन से गहराई से जुड़ा हुआ है.
लाह उत्पादन से किसानों की आय में वृद्धि का अवसर
राष्ट्रपति मुर्मु ने लाह की बढ़ती उपयोगिता की चर्चा करते हुए कहा कि यह न केवल जनजातीय समाज की आजीविका का मुख्य साधन है, बल्कि फार्मास्यूटिकल और कॉस्मेटिक उद्योगों में भी इसकी बढ़ती मांग है. उन्होंने अनुसंधान केंद्रों से इस दिशा में नए शोध करने का आह्वान किया ताकि किसानों की आय बढ़ाई जा सके. उन्होंने अन्य कृषि अनुसंधान संस्थानों के साथ इस केंद्र के समन्वय से काम करने पर भी जोर दिया, जिससे कृषि के क्षेत्र में अधिक नवाचार हो सके. राष्ट्रपति ने कहा कि केंद्र सरकार किसानों, खासकर महिलाओं की आय बढ़ाने के लिए लगातार कार्य कर रही है. उनके मुताबिक, इन प्रयासों से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार हो सकता है और कृषि क्षेत्र को एक लाभकारी उद्यम में तब्दील किया जा सकता है.
पलामू का विशेष जिक्र
राष्ट्रपति ने अपने झारखंड के राज्यपाल कार्यकाल के दिनों को याद करते हुए पलामू के बारे में एक खास किस्सा साझा किया. उन्होंने बताया कि पलामू के लोगों ने उन्हें इसका विशेष अर्थ बताया था, जिसमें ‘प’ से पलाश, ‘ला’ से लाह, और ‘म’ से महुआ का संदर्भ निकलता है. इन तीन चीजों का क्षेत्र की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में अहम योगदान है.
सेकेंडरी एग्रीकल्चर से आय में वृद्धि और पर्यावरण संरक्षण
राष्ट्रपति मुर्मु ने कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को सेकेंडरी एग्रीकल्चर की संभावनाओं पर ध्यान दिलाते हुए कहा कि मुख्य कृषि उत्पाद के साथ-साथ उनके अपशिष्ट का भी सही उपयोग किया जा सकता है. नामकुम में लगे प्रदर्शनी में दिखाए गए उदाहरणों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि बादाम के छिलके जैसे अपशिष्टों को भी लाभकारी उत्पाद में बदला जा सकता है. इस प्रकार से एक ओर किसानों की आय में वृद्धि होगी और दूसरी ओर पर्यावरण का संरक्षण भी होगा.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का संबोधन
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस अवसर पर अपने संबोधन में किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में और अधिक प्रयास करने की जरूरत पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि हमें किसानों को केवल लखपति बनाने का ही नहीं बल्कि करोड़पति बनाने का लक्ष्य रखना चाहिए. उन्होंने झारखंड के लाह उत्पादन में आई कमी की ओर इशारा करते हुए कहा कि पहले झारखंड देश के 70 प्रतिशत लाह का उत्पादन करता था, लेकिन अब यह घटकर 55 प्रतिशत रह गया है. सोरेन ने अपनी सरकार के लाह को कृषि उपज का दर्जा देने के फैसले को महत्वपूर्ण कदम बताया और कहा कि केंद्र और राज्य सरकार मिलकर इस दिशा में और अधिक काम करेंगी, जिससे किसानों की आय में वृद्धि हो सके.
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का दृष्टिकोण
कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लाह के महत्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि लाह एक बेहतरीन प्राकृतिक उत्पाद है, जो प्लास्टिक का विकल्प हो सकता है और इसके उपयोग से पर्यावरण संरक्षण में भी मदद मिल रही है. चौहान ने यह भी कहा कि लाह का उत्पादन महिला सशक्तिकरण के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे बड़ी संख्या में महिलाएं जुड़ी हुई हैं. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वह आग्रह करेंगे कि लाह को वन उत्पाद की बजाय कृषि उपज का दर्जा दिया जाए, जिससे किसानों को इसका अधिक लाभ मिल सके. उन्होंने यह भी घोषणा की कि लाह उत्पादन में आने वाले खर्च को 50 प्रतिशत तक बढ़ाया जाएगा और इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय किया जाएगा. केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि अब संस्थान 1500 किसानों की बजाय 5000 किसानों को प्रशिक्षण देगा.
कृषि में नवाचार और सेकेंडरी एग्रीकल्चर का महत्व
कार्यक्रम के दौरान कृषि में नवाचार और सेकेंडरी एग्रीकल्चर की महत्ता पर भी जोर दिया गया. राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि हमें कृषि उत्पादों के साथ-साथ उनके उपोत्पादों का भी सदुपयोग करना चाहिए. इससे न केवल किसानों की आय में वृद्धि होगी, बल्कि अपशिष्ट प्रबंधन के जरिए पर्यावरण संरक्षण में भी मदद मिलेगी. उन्होंने बादाम के छिलके को उपयोगी बनाने का उदाहरण दिया, जिसे प्रदर्शनी में दिखाया गया था.
राज्यपाल और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति
इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, कृषि राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी, झारखंड की कृषि मंत्री दीपिका सिंह पांडे, रक्षा राज्य मंत्री और रांची के सांसद संजय सेठ, और राज्य के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे.
राष्ट्रपति का संदेश: झारखंड की कृषि शक्ति को पहचानें
राष्ट्रपति मुर्मु ने झारखंड की कृषि शक्ति और इसकी क्षमता की प्रशंसा करते हुए कहा कि यहां की कृषि आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्था को और अधिक मजबूत करने की जरूरत है. उन्होंने मधुमक्खी पालन, पर्यटन और सेकेंडरी एग्रीकल्चर जैसे उद्यमों को बढ़ावा देने की अपील की.