रांची के प्रसिद्ध पहाड़ी मंदिर की तस्वीर बदलने की तैयारी, 6.73 करोड़ से होगा कायाकल्प…..

रांची का पहाड़ी मंदिर, जो धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है, अब नई छवि में नजर आने वाला है. इस मंदिर के कायाकल्प के लिए प्रशासन द्वारा 6 करोड़ 73 लाख 6 हजार 700 रुपये की स्वीकृति प्रदान की गई है. यह राशि मंदिर की मरम्मत और पुनर्विकास कार्यों के लिए खर्च की जाएगी. रांची के उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा ने इस योजना की स्वीकृति दी है, जो रांची और पूरे झारखंड के लिए एक बड़ी पहल मानी जा रही है.

कायाकल्प के लिए मिली स्वीकृति

रांची के प्रसिद्ध पहाड़ी मंदिर की मरम्मत और पुनर्विकास के लिए कुल 673.067 लाख रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति दी गई है. इसमें से 424.543 लाख रुपये मंदिर की मरम्मत और पुनर्विकास कार्यों के लिए होंगे, जबकि 248.524 लाख रुपये गार्ड वॉल और बॉउंड्री वॉल निर्माण के लिए खर्च किए जाएंगे. इस योजना के माध्यम से मंदिर का सुधार और सौंदर्यीकरण किया जाएगा, जिससे श्रद्धालुओं और पर्यटकों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी. इस पहल के तहत रांची के उपायुक्त ने विभागीय सचिव के निर्देश पर योजना को हरी झंडी दिखाई है.

कार्यान्वयन एजेंसी की नियुक्ति

इस महत्वाकांक्षी योजना के कार्यान्वयन के लिए कार्यपालक अभियंता, एनआरईपी-1 रांची को कार्यकारी एजेंसी के रूप में नियुक्त किया गया है. ये एजेंसी सुनिश्चित करेगी कि मंदिर के पुनर्विकास का कार्य तकनीकी स्वीकृति के तहत हो. योजना का क्रियान्वयन झारखंड पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड के मुख्य अभियंता के निर्देशानुसार किया जाएगा, ताकि मंदिर का काम समय पर और सही ढंग से पूरा हो सके.

समय सीमा और निर्देश

यह परियोजना 31 मार्च 2026 तक पूरी होनी है. इसके लिए उपायुक्त ने कार्यकारी एजेंसी को निर्देश दिया है कि वे तुरंत निविदा प्रक्रिया शुरू करें और कार्य को समय पर पूरा करें. निविदा प्रक्रिया को शुरू करने के लिए योजना स्वीकृति के सात दिनों के भीतर निविदा प्रकाशित की जाएगी. इसके बाद पांच दिनों के भीतर निविदा निष्पादन का काम किया जाएगा. इस प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की कठिनाई होने पर कार्यकारी एजेंसी को तुरंत उपायुक्त को सूचित करने का निर्देश दिया गया है, ताकि समाधान जल्दी निकाला जा सके और परियोजना में कोई बाधा न आए.

विशिष्टताओं का पालन अनिवार्य

योजना की सफलता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए उपायुक्त द्वारा कार्यपालक अभियंता को विशिष्ट निर्देश दिए गए हैं. उन्हें यह सुनिश्चित करना है कि बिना किसी पूर्व अनुमति के योजना के प्रावधानों में कोई बदलाव न हो और सभी कार्य विभागीय नियमों के अनुसार ही हों. इसके साथ ही, यह भी सुनिश्चित किया गया है कि मंदिर की मूल संरचना में कोई भी बदलाव न किया जाए, ताकि इसकी धार्मिक और ऐतिहासिक महत्ता बनी रहे.

दिव्यांगों के लिए विशेष सुविधाएं

इस योजना के तहत यह भी सुनिश्चित किया गया है कि जो भी संरचनाएं बनाई जाएंगी, उनमें दिव्यांगों की सुविधाओं का भी विशेष ध्यान रखा जाएगा. कार्यकारी एजेंसी को निर्देश दिया गया है कि दिव्यांगों के लिए बाधारहित पहुंच सुनिश्चित की जाए. इससे यह सुनिश्चित होगा कि मंदिर में आने वाले हर व्यक्ति को उचित सुविधाएं मिल सकें.

भूमि और निर्माण कार्यों की सुनिश्चितता

परियोजना की शुरुआत से पहले यह सुनिश्चित किया जाएगा कि भूमि पर कोई विवाद न हो और यह सार्वजनिक उपयोग के लिए उपलब्ध हो. साथ ही, कार्यकारी एजेंसी को यह भी देखना होगा कि पिछले पांच वर्षों में इस भूमि पर कोई और निर्माण कार्य न हुआ हो. यदि ऐसा कोई मामला सामने आता है, तो इसे दस्तावेजों में दर्ज करना अनिवार्य होगा. परियोजना के हर चरण की फोटोग्राफी की जाएगी—कार्य शुरू होने पर, मध्य में और पूर्ण होने पर. इन फोटोग्राफ्स को रिकॉर्ड में सुरक्षित रखा जाएगा और प्रशासन को प्रस्तुत किया जाएगा. इसके साथ ही, योजना की सक्सेस स्टोरी भी तैयार कर उसे प्रशासन को प्रस्तुत किया जाएगा.

कार्यान्वयन के निर्देश

यह परियोजना केवल सरकारी भूमि पर ही लागू होगी. कार्यकारी एजेंसी यह सुनिश्चित करेगी कि यदि परियोजना वन भूमि पर हो, तो वन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त किया जाए. यह प्रमाण पत्र मिलने के बाद ही संविदा और कार्य प्रारंभ किया जाएगा. योजना स्थल पर स्थायी ईंट बोर्ड भी लगाया जाएगा, जिसमें कार्यकारी एजेंसी का नाम, योजना का नाम, प्रारंभ और समाप्ति की तारीख, और अन्य आवश्यक जानकारी अंकित की जाएगी. इस बोर्ड की फोटोग्राफी भी की जाएगी और उसे अक्षांश/देशांतर के साथ रिकॉर्ड में दर्ज किया जाएगा.

मासिक प्रतिवेदन और निरीक्षण

परियोजना के प्रगति की निगरानी के लिए कार्यकारी एजेंसी को हर माह मासिक प्रगति प्रतिवेदन देना होगा. इसमें भौतिक और वित्तीय प्रगति का विवरण होगा. यह रिपोर्ट जिला खेल पदाधिकारी-सह-पर्यटन, संस्कृति नोडल पदाधिकारी को भेजी जाएगी. साथ ही, कार्यकारी एजेंसी द्वारा योजना के कार्यान्वयन के दौरान वित्तीय नियमों का पालन सुनिश्चित करना होगा. झारखंड सरकार द्वारा समय-समय पर जारी वित्तीय नियमावली का अक्षरशः पालन किया जाएगा. सभी संरचनाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए एजेंसी पीडब्ल्यूडी कोड के अनुसार सामग्री का चयन करेगी.

कार्य की पूर्णता और संतुष्टता प्रमाण पत्र

जब परियोजना पूरी हो जाएगी, तब कार्यपालक अभियंता इसका अंतिम सत्यापन करेंगे. इसके साथ ही, योजना के पूरा होने पर पूर्णता प्रमाण पत्र, संतुष्टता प्रमाण पत्र और व्यय की गई राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र भी जारी किया जाएगा.

अनियमितताओं पर कार्रवाई

यदि परियोजना के कार्यान्वयन के दौरान किसी प्रकार की अनियमितता पाई जाती है, तो कार्यकारी एजेंसी को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा और उचित कार्रवाई की जाएगी.

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