रिम्स में एमबीबीएस सीट बढ़ाने की तैयारी, 250 सीटें करने की योजना और चुनौतियां…..

रांची के राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) में एमबीबीएस सीटों को 180 से बढ़ाकर 250 करने की तैयारी चल रही है. केंद्र सरकार अगले पांच वर्षों में पूरे देश के मेडिकल कॉलेजों में 75 हजार एमबीबीएस सीटें बढ़ाने की योजना बना रही है, जिसमें रिम्स भी शामिल है. वर्तमान में रिम्स में 180 सीटों पर एमबीबीएस की पढ़ाई होती है, जिसे बढ़ाने के लिए प्रबंधन पिछले वर्ष से ही काम कर रहा है. लेकिन, सीटों को 250 तक बढ़ाने के लिए कई सुधार आवश्यक हैं, खासकर शिक्षकों और आधारभूत संरचना के क्षेत्र में.

छह बिंदुओं पर काम

रिम्स प्रबंधन ने सीटों की संख्या बढ़ाने के लिए छह प्रमुख बिंदुओं पर काम शुरू कर दिया है. इन बिंदुओं में फैकल्टी की नियुक्ति, नर्स और पैरामेडिकल स्टाफ की भर्ती शामिल है. इसके साथ ही सुपर स्पेशिएलिटी भवनों का निर्माण और नए हॉस्टल का काम भी प्रगति पर है. प्रबंधन ने यह भी सुनिश्चित किया है कि विभिन्न विभागों में जरूरी सुधार हों ताकि कोई बड़ी अड़चन न आए. रिम्स के निदेशक डॉ. राजकुमार का कहना है कि 70 अतिरिक्त सीटों के लिए कई सुधारों की आवश्यकता होगी, जिनमें विशेष रूप से फैकल्टी की कमी को पूरा करना प्रमुख है. अस्पताल में 2270 बेड की उपलब्धता भी इस प्रक्रिया को आसान बनाएगी, क्योंकि 250 एमबीबीएस सीटों के लिए एनएमसी की गाइडलाइन के अनुसार 1100 बेड की आवश्यकता है.

ओपीडी और सर्जरी सुविधाओं में वृद्धि

रिम्स में ओपीडी की सुविधाओं को भी विस्तार दिया गया है. पहले जहां रोजाना लगभग 1600 मरीज आते थे, अब यह संख्या बढ़कर 3000 तक पहुंच गई है. इसके अलावा, ओपेन हार्ट सर्जरी की शुरुआत और सुपर स्पेशिएलिटी विंग की मदद से मरीजों की संख्या में भी काफी इजाफा हुआ है. कार्डियोलॉजी विभाग में बच्चों के दिल के छेद की सर्जरी की जा रही है, जिससे इस क्षेत्र में मरीजों की संख्या में भी वृद्धि हुई है. 2019-20 में रिम्स प्रबंधन ने मेडिकल काउंसिल को पत्र भेजकर सीट बढ़ाने का अनुरोध किया था. उस समय से अब तक अस्पताल में कई सुधार किए जा चुके हैं, जिनमें कैंसर, सीटीवीएस, और पीडियाट्रिक सर्जरी जैसे विभागों में ओपीडी की संख्या बढ़ाना शामिल है.

चुनौतियों का सामना

हालांकि, कुछ विभागों में अभी भी फैकल्टी की कमी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. आर्थोपेडिक्स, पैथोलॉजी, और नेत्र रोग विभागों में फैकल्टी की कमी के चलते प्रोफेसर की जगह एडिशनल और एसोसिएट प्रोफेसर काम कर रहे हैं. इन चुनौतियों से निपटने के लिए फैकल्टी प्रमोशन और नई भर्तियों की प्रक्रिया शुरू की गई है. रिम्स की डीन, डॉ. शशिबाला सिंह ने बताया कि अधिकांश विभागों में सीट बढ़ाने के लिए जरूरी काम पूरे कर लिए गए हैं. हालांकि, कुछ विभागों में अभी भी फैकल्टी की कमी है, जिसे जल्द ही पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि एनएमसी के मापदंडों को पूरा करने के लिए यह प्रक्रिया कुछ समय और ले सकती है.

सुपर स्पेशिएलिटी सुविधाओं का विस्तार

रिम्स में सुपर स्पेशिएलिटी सुविधाओं का भी विस्तार किया जा रहा है, जिससे भविष्य में सीट बढ़ाने की प्रक्रिया आसान हो जाएगी. अस्पताल में वर्तमान में 2270 बेड उपलब्ध हैं, जो एनएमसी द्वारा तय मापदंडों से अधिक हैं. सुपर स्पेशिएलिटी भवन और नई सुविधाओं के निर्माण के बाद, रिम्स देश के बड़े मेडिकल कॉलेजों की श्रेणी में आ जाएगा, जिससे यहां पर मेडिकल शिक्षा का स्तर और ऊंचा हो सकेगा. इसके अलावा, लेक्चर थिएटर और लाइब्रेरी के निर्माण की भी योजना बनाई जा रही है, जिससे छात्रों को बेहतर सुविधाएं मिल सकें. एनएमसी के मापदंडों को पूरा करने के लिए ये सभी सुधार आवश्यक हैं.

 

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