झारखंड भीषण गर्मी की चपेट में है। तपिश के बीच सूबे में बिजली की मांग बढ़ गई है, लेकिन इस बढ़ी मांग के बीच सूबे में बिजली की आपूर्ति घट गई है। इससे पूरे राज्य में बिजली संकट गहरा गया है। राज्य में बिजली की मांग और आपूर्ति में 400 से 450 मेगावाट के अंतर से लोड शेडिंग की मार पड़ रही है। शहरों में औसतन 19 और ग्रामीण इलाकों में 16 से 17 घंटे की आपूर्ति से जनजीवन प्रभावित हो गया है। लोड बढ़ने के साथ ही स्थानीय खराबियों और राष्ट्रीय स्तर पर बिजली की उपलब्धता कम होने से हालात बिगड़ गए हैं। इंडियन एनर्जी एक्सचेंज से झारखंड 600 मेगावाट बिजली खरीदने का प्रयास कर रहा है, लेकिन बामुश्किल 250 मेगावाट तक अतिरिक्त बिजली मिल पा रही है।
राज्य में बिजली की मांग 2600 मेगावाट के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुकी है, लेकिन आपूर्ति 2100 मेगावाट ही हो पा रही है। राज्य सरकार की अपनी एकमात्र इकाई टीवीएनएल से लगभग 350 मेगावाट बिजली उत्पादन हो रहा है। बाकि बिजली स्थानीय निजी यूनिटों, राष्ट्रीय ग्रिड, सेकी, इंडियन एनर्जी से जुटाई जा रही है। लेकिन, एक्सचेंज के पास सीमित उपलब्धता के कारण राज्य की ओर से मांगी गई अतिरिक्त बिजली की तुलना आधी ही मिल पा रही है।ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव अविनाश कुमार के अनुसार जेबीवीएनएल को मांग के बराबर बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है। आपूर्ति सामान्य बनाये रखने की कोशिश की जा रही है।
राष्ट्रीय ग्रिड पर संकट, झारखंड को चेतावनी..
राज्यों में बिजली की मांग बढ़ गई है, लेकिन राष्ट्रीय ग्रिड के पास बिजली की सीमित उपलब्धता के बीच राज्य तय कोटे से अधिक बिजली लेने की कोशिश कर रहे हैं। इस कारण ग्रिड की फ्रिक्वेंसी 50 हर्ट्ज से घट कर 49.5 हर्ट्ज हो गई। आपूर्ति सामान्य करने के लिए बुधवार को झारखंड निर्धारित कोटे से अधिक बिजली राष्ट्रीय ग्रिड से लेने की कोशिश कर रहा था। इस पर ईस्टर्न रीजन लोड डिस्पैच सेंटर की ओर से झारखंड को टाई ओपन (बिजली काटने) की चेतावनी दी गई। इसके बाद राज्य ने निर्धारित कोटा और निर्देशानुसार ही बिजली ले रहा है।