वन विभाग में जल्द ही स्थायी पशु चिकित्सकों की नियुक्ति हो सकती है। विभाग इस दिशा में गंभीरता से विचार कर रहा है और आवश्यक पदों को चिह्नित करने की प्रक्रिया में जुटा हुआ है। वन विभाग के अधीन विभिन्न अभ्यारण्य और चिड़ियाघर आते हैं, जहां बड़ी संख्या में वन्यजीवों की देखभाल की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, विभाग हाथी रेस्क्यू सेंटर का भी संचालन करता है, जहां प्रशिक्षित पशु चिकित्सकों की जरूरत बनी रहती है।
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पशुपालन विभाग पर निर्भरता से परेशानी
फिलहाल, वन विभाग को पशुपालन विभाग के चिकित्सकों पर निर्भर रहना पड़ता है। आवश्यकता पड़ने पर पशुपालन विभाग से पशु चिकित्सकों की प्रतिनियुक्ति कराई जाती है, लेकिन कई बार यह व्यवस्था बाधित हो जाती है। विभाग के एक पशु चिकित्सक को चिड़ियाघर में प्रतिनियुक्त किया जाता है, लेकिन बीच-बीच में पशुपालन विभाग उनकी प्रतिनियुक्ति रद्द कर देता है। इससे वन्यजीवों के इलाज और देखभाल में समस्या उत्पन्न होती है।
स्थायी नियुक्ति का प्रस्ताव तैयार
इस समस्या को देखते हुए, वन विभाग ने स्थायी पशु चिकित्सकों की नियुक्ति का प्रस्ताव तैयार किया है। इस प्रस्ताव के तहत चिड़ियाघरों, अभ्यारण्यों और रेस्क्यू सेंटर्स में विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती की जाएगी, जिससे वन्यजीवों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें।
विदेशों में दिया जा चुका है प्रशिक्षण
वन विभाग समय-समय पर अपने पशु चिकित्सकों को विदेशों में वाइल्डलाइफ से संबंधित प्रशिक्षण दिलाता रहा है। इसका उद्देश्य वन्यजीवों की बेहतर देखभाल और चिकित्सा सुविधा को सुदृढ़ बनाना है। हालांकि, वर्तमान व्यवस्था के तहत पशुपालन विभाग इन प्रशिक्षित चिकित्सकों की प्रतिनियुक्ति समाप्त कर देता है, जिससे वन विभाग को नुकसान होता है।
यदि यह प्रस्ताव मंजूर हो जाता है, तो वन विभाग को विशेषज्ञ पशु चिकित्सकों की स्थायी सेवाएं मिल सकेंगी और वन्यजीवों के संरक्षण एवं देखभाल की व्यवस्था और अधिक मजबूत होगी।
वन विभाग में जल्द ही स्थायी पशु चिकित्सकों की नियुक्ति की जा सकती है, जिससे अभ्यारण्यों, चिड़ियाघरों और हाथी रेस्क्यू सेंटर में वन्यजीवों की चिकित्सा और देखभाल की व्यवस्था को और मजबूत किया जा सके। विभाग ने इसके लिए आवश्यक पदों को चिह्नित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।