जनजातीय परामर्शदातृ पर्षद (टीएसी) की नई नियमावली से झारखंड में राजनीतिक विवाद आरंभ हो गया है। प्रमुख विपक्षी दल भाजपा ने इसे असंवैधानिक बताया है और इसकी शिकायत राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू से की है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश के नेतृत्व में पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से मुलाकात की और इस संदर्भ में ज्ञापन सौंपा। शिष्टमंडल ने राज्यपाल को रूपा तिर्की हत्याकांड की सीबीआइ जांच कराने की मांग को लेकर भी ज्ञापन सौंपा।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने कहा कि संविधान की पांचवीं अनुसूची पर आदिवासी हित के लिए राज्यपाल को एक विशेष अधिकार प्राप्त है। उसमें टीएसी का गठन या आदिवासियों से संबंधित अन्य निर्णय शामिल है। राज्य मंत्रिमंडल के द्वारा जनजाति सलाहकार परिषद की संचालन नियमावली तैयार की गई और अधिसूचित की गई, जो गैर संवैधानिक है। यह राज्यपाल के अधिकारों और कर्तव्यों के ऊपर गैर संवैधानिक अतिक्रमण है।
कहा, भारत का संविधान सर्वोपरि है। यदि इसके साथ कोई कोई छेड़छाड़ करेगा तो पार्टी उसका मुंहतोड़ जवाब देगी। भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष शिवशंकर उरांव ने कहा कि राज्य सरकार के द्वारा निरूपित जनजाति सलाहकार परिषद की नियमावली संविधान के पांचवीं अनुसूची में दिए गए प्रावधानों के विरुद्ध और गैर संवैधानिक है। जनजाति सलाहकार परिषद की नियमावली बनाने का अधिकार राज्य के राज्यपाल को है न कि राज्य मंत्रिमंडल को।
प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से मांग की कि साहिबगंज में पदस्थापित महिला दारोगा रूपा तिर्की की संदिग्ध मौत की जांच सीबीआइ से कराई जाए। भाजपा नेता डाॅ. अरुण उरांव ने कहा कि मृत्यु संदेहास्पद है। जांच के लिए एसआइटी का गठन किया गया लेकिन जांच टीम सिर्फ आत्महत्या और प्रेम प्रसंग एंगल पर ही जांच कर रही है जबकि परिजन बार-बार हत्या का जिक्र कर रहे हैं। पोस्टमार्टम में बिसरा को भी सुरक्षित नहीं रखा गया।
आदिवासी विरोधी है भाजपा, नकार दिया है झारखंड ने..
टीएसी की नियमावली को लेकर शुरू हुए राजनीतिक विवाद को लेकर सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भाजपा पर निशाना साधा है। पार्टी महासचिव सह प्रवक्ता विनोद पांडेय ने कहा कि भाजपा आरंभ से आदिवासी विरोधी है। आदिवासियों के विकास के नाम से ही भाजपा को चिढ़ है। यही वजह है कि पिछले विधानसभा चुनाव में राज्य की जनता ने भाजपा को नकार दिया। टीएसी के गठन से आदिवासी क्षेत्र के विकास की गति तेज होगी। भाजपा के नेता नहीं चाहते कि जनजातीय क्षेत्रों का संपूर्ण विकास हो।
आदिवासियों के विकास के लिए टीएसी का गठन आवश्यक है। भाजपा अब इस मामले में राजभवन में शिकायत कर संवैधानिक संस्थाओं का भी राजनीतिकरण करना चाहती है। जब भी कोई बेहतर कदम उठाया जाता है तो भाजपा के नेता विरोध करने पर उतारू हो जाते हैं। जिस संशोधन पर भाजपा के नेता आपत्ति करा रहे हैं, वह आदिवासी हित में है। जनजातीय परामर्शदातृ पर्षद के गठन को लेकर अरसे से कवायद की जा रही थी।
दो बार राज्य सरकार के स्तर से प्रस्ताव भी राजभवन को प्रेषित किया गया था। उस वक्त भी भाजपा के नेताओं को आवाज उठाना चाहिए था। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में राज्य सरकार आदिवासी क्षेत्रों का विकास करने को प्रतिबद्ध है। राज्य सरकार के बेहतर कामकाज को देखकर भाजपा के नेता बौखला गए हैं और अनाप-शनाप कार्य कर रहे हैं। जनता इनकी असलियत समझ गई है और इनके झांसे में आने वाली नहीं है।
किसी भी अच्छे कदम से भाजपा नेताओं को होता है पेट में दर्द..
झारखंड प्रदेश कांग्रेस ने टीएसी नियमावली पर भाजपा की आपत्तियों को दरकिनार किया है। प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा कि जब भी झारखंड सरकार कोई अच्छा कदम उठाती है तो भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के पेट में दर्द होने लगता है। पिछले डेढ़ वर्षों से टीएसी के गठन का मामला अटका हुआ था। भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने कभी इस मामले की सुध नहीं ली। जैसे ही टीएसी के गठन की प्रक्रिया को सुलभ किया गया, वैसे ही भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने हायतौबा मचाना शुरू कर दिया।
दरअसल सच्चाई यह है कि भारतीय जनता पार्टी आदिवासी विरोधी है। जब भी आदिवासियों के हक में कोई फैसला लिया जाता है तो भारतीय जनता पार्टी सड़क से लेकर महामहिम तक विरोध दर्ज कराने पहुंच जाती है। भारतीय जनता पार्टी को इस बात से चिढ़ है कि झारखंड के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में पिछले चुनाव के दौरान भाजपा को लोगों ने नकार दिया था। टीएसी पर भारतीय जनता पार्टी को कोई सवाल उठाने से पहले अपने गिरेबान में झांकना चाहिए।
मुख्यमंत्री रमन सिंह ने 2006 में ही टीएसी के गठन को लेकर संशोधन किया था, वही संशोधन अब झारखंड में हुआ है। भाजपा संशोधन करे तो सही, हम करे तो गलत। यही भारतीय जनता पार्टी का दोहरा चरित्र है। भारतीय जनता पार्टी बेवजह इस मामले को तूल देकर राज्यपाल के गरिमामयी पद का राजनीतिकरण करना चाहती है। भाजपा ने पिछले सात वर्षों में तमाम संवैधानिक संस्थाओं का राजनीतिकरण करने का काम किया है, जो हम झारखंड में कतई नहीं होने देंगे।
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