रांची: झारखंड में सरना धर्मकोड की मांग को लेकर एक बार फिर सियासी हलचल तेज हो गई है। रविवार को राजभवन के समक्ष प्रस्तावित आंदोलन से पहले शनिवार को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में पार्टी नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केंद्र की मोदी सरकार पर आदिवासी विरोधी होने का गंभीर आरोप लगाया। इस मौके पर लोहरदगा के सांसद सुखदेव भगत, कांग्रेस विधायक दल के उपनेता राजेश कच्छप और पूर्व विधायक जयप्रकाश गुप्ता मौजूद रहे।
सरना धर्म कोड पर सरकार मौन, आदिवासियों को हाशिये पर डालने का प्रयास – सुखदेव भगत
सांसद सुखदेव भगत ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि सरकार बाघों और पशुओं की गिनती तो करती है, लेकिन देश के आदिवासियों को धार्मिक पहचान देने से परहेज कर रही है। उन्होंने कहा कि पिछले जनगणना फॉर्म में “अन्य धर्म” का कॉलम होता था, जिसमें लाखों आदिवासियों ने ‘सरना’ धर्म को चुना। लेकिन इस बार सुनियोजित साजिश के तहत यह कॉलम हटा दिया गया, जिससे आदिवासियों की धार्मिक पहचान को मिटाने की कोशिश की जा रही है।
प्राकृतिक आस्था को गौण करने का प्रयास – कांग्रेस
भगत ने कहा कि पूरे देश में आदिवासियों की आबादी लगभग 15 करोड़ है, जो प्रकृति पूजा में विश्वास रखते हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि जब 40 लाख जैन, 80 लाख बौद्ध और 2 करोड़ सिख समुदाय को अलग धार्मिक पहचान दी जा सकती है, तो फिर सरना धर्म को क्यों नहीं? उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा आदिवासियों को केवल “वनवासी” कहकर उनकी सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को दबाने का प्रयास कर रही है।
जातिगत जनगणना से पहले सरना धर्मकोड जरूरी – राजेश कच्छप
विधायक राजेश कच्छप ने कहा कि भाजपा जातिगत जनगणना से भी डरती थी, लेकिन राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस के संघर्ष ने केंद्र सरकार को झुकने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने कहा कि अगर सही जनगणना की जाती है, तो देश में आदिवासी समुदाय की संख्या 15 करोड़ से अधिक निकल सकती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि आदिवासियों की सटीक गिनती तभी संभव है जब सरना धर्म को अलग कोड के रूप में मान्यता मिले।
अन्य कॉलम हटाना भाजपा की साजिश – कांग्रेस
कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि भाजपा ने जानबूझकर “अन्य धर्म” कॉलम को हटाया ताकि सरना धर्म को दबाया जा सके। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर केंद्र सरकार सरना धर्मकोड को लागू नहीं करती है, तो कांग्रेस सड़क से लेकर संसद तक भाजपा का विरोध करेगी।
सरना कोड की मांग वर्षों पुरानी – जयप्रकाश गुप्ता
पूर्व विधायक जयप्रकाश गुप्ता ने कहा कि सरना कोड की मांग कोई नई नहीं है, बल्कि यह आदिवासियों का वर्षों पुराना आंदोलन है। उन्होंने कहा कि इस कोड को लागू करने के लिए न तो किसी विशेष संसाधन की आवश्यकता है और न ही संविधान संशोधन की जरूरत है — केवल कैबिनेट की मंजूरी ही काफी है। बावजूद इसके, केंद्र सरकार इसे लागू नहीं कर रही है, जिससे उसकी मंशा पर सवाल खड़े होते हैं।
सरना धर्मकोड की मांग अब एक निर्णायक मोड़ पर है। कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि अगर आदिवासियों की धार्मिक पहचान को लेकर केंद्र सरकार ने ठोस कदम नहीं उठाए, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा। झारखंड समेत पूरे देश के आदिवासी समुदाय की निगाहें अब केंद्र के अगले कदम पर टिकी हैं।