रांची: केंद्र सरकार द्वारा जातिगत जनगणना कराने के फैसले के बाद देश की सियासत गरमा गई है। जहां एक ओर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इस फैसले को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लिया गया एक ऐतिहासिक और क्रांतिकारी निर्णय बता रही है, वहीं दूसरी ओर विपक्षी दलों के बीच इसका श्रेय लेने की होड़ मच गई है।
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भाजपा प्रदेश कार्यालय, रांची में पार्टी के महामंत्री एवं सांसद डॉ. प्रदीप वर्मा ने मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए इस फैसले का स्वागत किया और इसे “विकसित भारत की दिशा में उठाया गया ठोस कदम” बताया। उन्होंने कहा कि जातिगत जनगणना के जरिए देश के वंचित और पिछड़े वर्गों की वास्तविक स्थिति का आंकलन किया जा सकेगा, जिससे क्षेत्रीय और वर्गीय आधार पर सटीक नीतियां बनाई जा सकेंगी।
डॉ. वर्मा ने कहा, “भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का जो सपना प्रधानमंत्री मोदी ने देखा है, उसे साकार करने में यह जनगणना मील का पत्थर साबित होगी। भाजपा सामाजिक न्याय को केवल नारे के रूप में नहीं, बल्कि कार्य रूप में लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है।”
कांग्रेस पर हमला बोलते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने कभी भी जातिगत जनगणना की जरूरत को गंभीरता से नहीं लिया। उन्होंने कहा, “कांग्रेस सत्ता की राजनीति करती है। संविधान की दुहाई देने वाले कांग्रेसी नेता केवल दिखावे के लिए सामाजिक न्याय की बातें करते हैं, लेकिन उन्होंने अपने शासनकाल में कभी भी जातीय आंकड़ों को दर्ज कराने की पहल नहीं की।”
डॉ. वर्मा ने यह भी कहा कि भाजपा सरकार का उद्देश्य केवल आंकड़े जुटाना नहीं, बल्कि उन आंकड़ों के आधार पर समावेशी और न्यायपूर्ण विकास की रणनीति बनाना है। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह कदम देश की नीतियों को नई दिशा देगा और विकास को गति देगा।
जातिगत जनगणना पर सियासत का यह दौर यह साफ करता है कि आने वाले दिनों में यह मुद्दा न केवल सामाजिक न्याय की बहस में केंद्र में रहेगा, बल्कि राजनीतिक दलों के लिए चुनावी रणनीति का हिस्सा भी बन सकता है।