रांची: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के स्पेन और स्वीडन दौरे को लेकर राज्य की सियासत में उबाल आ गया है। इस दौरे में उनकी धर्मपत्नी कल्पना सोरेन की मौजूदगी और उद्योग मंत्री संजय प्रसाद यादव को शामिल न किए जाने को लेकर भाजपा ने गंभीर सवाल खड़े किए हैं। नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी और अन्य भाजपा नेताओं ने मुख्यमंत्री की मंशा और निर्णय पर प्रश्नचिह्न लगाते हुए दौरे को ‘एकपक्षीय और अपारदर्शी’ बताया है।
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भाजपा ने जताई आपत्ति
भाजपा विधायक और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा, “अगर विदेश दौरे का उद्देश्य राज्य में निवेश लाना है, तो उद्योग मंत्री को क्यों नजरअंदाज किया गया? आखिर कल्पना सोरेन किस हैसियत से इस सरकारी टीम में शामिल हैं?” उन्होंने यह भी पूछा कि एक सेवानिवृत्त IFS अधिकारी को किस आधार पर प्रतिनिधिमंडल में शामिल किया गया।
मरांडी ने तीखा हमला करते हुए लिखा, “हेमंत सरकार में सहयोगी दलों के मंत्रियों का अपमान अब परंपरा बनता जा रहा है।”
झामुमो का काउंटर अटैक
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने भी इस विवाद पर पलटवार किया है। पार्टी ने सोशल मीडिया पर लिखा, “पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में ‘मोमेंटम झारखंड’ की उड़ती हुई योजनाएं सबने देखीं। आज जब झारखंड हेमंत सरकार के नेतृत्व में आगे बढ़ रहा है, तो भाजपा को जलन हो रही है।”
पार्टी ने दावा किया कि यह दौरा निवेश को लेकर गंभीर प्रयास का हिस्सा है और इसमें अनावश्यक राजनीति की जा रही है।
जुबानी जंग में बदला मामला
भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक ने भी मुख्यमंत्री पर हमला करते हुए कहा, “जिस उद्देश्य से मुख्यमंत्री विदेश दौरे पर जा रहे हैं, उसमें संबंधित मंत्री को ही साथ नहीं ले जाया गया। यह तानाशाही नहीं तो और क्या है?” उन्होंने यह भी तंज कसा कि “क्या कोई ऐसा गोपनीय मीटिंग होने वाला है, जिससे उद्योग मंत्री को दूर रखना जरूरी हो गया?”
क्या है दौरे का उद्देश्य?
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का यह दौरा कथित तौर पर राज्य में विदेशी निवेश आकर्षित करने के उद्देश्य से किया जा रहा है। इसमें स्पेन और स्वीडन में संभावित निवेशकों से मुलाकात की योजना है। हालांकि, प्रतिनिधिमंडल में कल्पना सोरेन की मौजूदगी को लेकर जो सवाल उठे हैं, वह दौरे की पारदर्शिता और प्राथमिकताओं पर राजनीतिक बहस को जन्म दे चुके हैं।
राजनीतिक पारा चढ़ा
इस पूरे घटनाक्रम ने झारखंड की राजनीति में एक नई हलचल पैदा कर दी है। जहां भाजपा इसे सत्ता के दुरुपयोग का मामला बता रही है, वहीं झामुमो इसे विपक्ष की जलन करार दे रही है। देखना यह होगा कि हेमंत सोरेन इस राजनीतिक दबाव का सामना किस तरह करते हैं और दौरे से झारखंड को क्या ठोस लाभ मिलता है।