रांची: अवैध खनन पट्टा लेने संबंधी आरोपों में फंसे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके भाई विधायक बसंत सोरेन की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। तेजी से बदलते राजनीतिक घटनाक्रम में बुधवार को राज्यपाल रमेश बैस ने नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से अलग-अलग मुलाकात की। सूत्रों के मुताबिक राज्यपाल ने राज्य की राजनीतिक स्थिति से अवगत कराते हुए मुख्यमंत्री और उनके भाई के खिलाफ चल रहे मामले की जानकारी दी है। । यह भी बताया कि जो दस्तावेज उपलब्ध कराए गए हैं, वह कार्रवाई के लिए पर्याप्त आधार है।
नई दिल्ली में प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृहमंत्री से मुलाकात में राज्यपाल रमेश बैस ने दिया फीडबैक..
राज्यपाल ने कहा कि भारतीय निर्वाचन आयोग ने इसपर राज्य के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह से दस्तावेजों को सत्यापित करने को कहा था। मुख्य सचिव ने दस्तावेजों को सत्यापित कर भारतीय निर्वाचन आयोग को भेज दिया है। निर्वाचन आयोग से मंतव्य मिलने के बाद राजभवन द्वारा संविधान के निहित प्रावधानों के तहत विधिसम्मत कार्रवाई की जाएगी।
प्रधानमंत्री और गृहमंत्री से आधे घंटे से अधिक मंत्रणा, तमाम गतिविधियों से अवगत कराया..
राज्यपाल ने यह भी स्पष्ट रूप से कहा है कि इस मामले में जो भी दस्तावेज उपलब्ध कराए गए हैं, वे कार्रवाई के लिए पर्याप्त हैं। राज्यपाल ने राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति से भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को अवगत कराया। राज्यपाल ने मुख्यमंत्री पर लगाए जा रहे आरोपों के बचाव में सत्तारूढ़ झामुमो, कांग्रेस और राजद के संयुक्त प्रतिनिधिमंडल द्वारा सौंपे गए ज्ञापन के बारे में भी जानकारी दी है।
राज्यपाल रमेश बैस पर टिकीं नजरें..
- मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा अवैध तरीके से खनन पट्टा लेने और निर्वाचन आयोग से परामर्श लेने की दी जानकारी
- सत्तारूढ़ दल द्वारा सीएम हेमंत सोरेन के बचाव में सौंपे गए ज्ञापन के बारे में भी बताया, राज्य की विधि-व्यवस्था से भी कराया अवगत
दस्तावेजों का हो चुका है सत्यापन..
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके छोटे भाई दुमका के विधायक बसंत सोरेन को लेकर भाजपा द्वारा सौंपे गए कागजात का सत्यापन कर भारतीय निर्वाचन आयोग को भेजा गया है। हेमंत सोरेन पर पत्थर खनन के लिए रांची के अनगड़ा में खदान आवंटन का आरोप है, जबकि बसंत सोरेन पर खनन कंपनी ग्रैंड माइनिंग में पार्टनर होने का आरोप है। भाजपा नेताओं ने सोरेन बंधुओं पर सरकार से दोहरा लाभ लेने का आरोप लगाते हुए इनकी विधानसभा की सदस्यता खत्म करने की मांग की थी। तर्क दिया गया था कि यह कार्य गृह मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से मंत्रियों के लिए जारी आचार संहिता का उल्लंघन है। साथ ही भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 13(1)(डी) के तहत आपराधिक कृत्य है। भाजपा नेताओं ने राज्यपाल से विधानसभा के सदस्यों की निरर्हता से संबंधित संविधान के अनुच्छेद 192 के तहत निर्वाचन आयोग की राय लेकर निर्णय लेने का भी आग्रह किया था।
सत्तारूढ़ दलों ने किया बचाव..
सोरेन बंधुओं पर लगे आरोपों का सत्तारूढ़ झामुमो, कांग्रेस और राजद ने बचाव किया है। इससे संबंधित एक ज्ञापन भी राज्यपाल को सौंपा गया है। झामुमो का तर्क है कि किसी प्रकार का निर्णय लेने के पहले उनका भी पक्ष लिया जाना चाहिए। पार्टी ने भाजपा पर हेमंत सरकार को अस्थिर करने की साजिश का आरोप लगाया है।
कानून के मुताबिक चुनाव आयोग के मंतव्य पर राज्यपाल लेंगे निर्णय..
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खदान लीज मामले में झारखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ता नवीन कुमार सिंह ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 192 (2) में राज्यपाल चुनाव आयोग से मंतव्य मांगने का अधिकार है। अनुच्छेद 102 के तहत चुनाव आयोग राज्यपाल को अपना मंतव्य देगा। चुनाव आयोग के मंतव्य के आधार पर ही राज्यपाल इस मामले में अपना निर्णय लेंगे। इसके अलावा लीज लेने के प्रकरण में हेमंत सोरेन ने जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8 ए और 9 और 9 ए काउल्लंघन किया है।
हालांकि, उनकी ओर से 9 ए लागू नहीं की बात कही जा रही है।लेकिन 9 ए भी इस मामले में लागू होगा, क्योंकि सीएम ने अपनी स्वेच्छा से लीज सरेंडर नहीं किया है, बल्कि जब मामला लोगों के संज्ञान में आया है, तो उन्होंने लीज सरेंडर किया है। सीएम के साथ-साथ हेमंत सोरेन खनन विभाग के मंत्री के पद पर रहते हुए ही लीज लेने की सारी प्रक्रिया पूरी की है। इसलिए यह मामला 9 ए के तहत भी आएगा। जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8ए, 9 और 9 ए के तहत लाभ के पद पर रहते हुए भ्रष्ट आचरण अपनाने पर सदस्यता समाप्त किए जाने की बात कही गई है।
हेमंत सरकार लेगी विधि विशेषज्ञों की राय..
राज्यपाल के दिल्ली दौरे और भारतीय निर्वाचन आयोग को मुख्य सचिव के स्तर से जवाब देने के बाद सियासी गतिविधियां तेज हो गई है। सरकार भी इसे लेकर सतर्क है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस मामले में कानूनी परामर्श लेने का निर्देश दिया है। जानकारी के मुताबिक इस बाबत वरीय कानून विशेषज्ञों से संपर्क किया जा रहा है ताकि निर्वाचन आयोग द्वारा राज्यपाल को मंतव्य दिए जाने के बाद उसे कानूनी मोर्चे पर चुनौती दी जा सके। फिलहाल उन कानूनी सलाहकारों के नाम पर मंथन चल रहा है जो इस संकट में से सरकार को उबारने में मददगार साबित हो सकें।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर मिले सोनिया से, सौंपी रिपोर्ट..
जानकारी के अनुसार, झारखंड प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने नई दिल्ली में पार्टी की केंद्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात कर उन्हें राज्य के ताजा राजनीतिक हालात की रिपोर्ट सौंपी। माना जा रहा है कि सोनिया गांधी ने अभी बदलती राजनीतिक परिस्थितियों पर नजर बनाए रखने का निर्देश उन्हें दिया है। हालांकि प्रदेश अध्यक्ष ने इसे औपचारिक मुलाकात करार दिया है। पहली बार ऐसा हुआ है कि सोनिया गांधी से मुलाकात के दौरान प्रदेश कांग्रेस प्रभारी की मौजूदगी नहीं रही। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर के अनुसार कांग्रेस संगठन को विस्तार देने से संबंधित मुद्दों पर ही बातचीत केंद्रित रही। प्रदेश में संगठन की गतिविधियों की जानकारी केंद्रीय अध्यक्ष को देने के बाद उन्हें चिंतन शिविर से लेकर संवाद कार्यक्रमों तक के बारे में जानकारी दी गई। जिला से लेकर प्रखंड तक में आयोजित कार्यक्रमों की जानकारी उन्हें दी गई। इस दौरान सोनिया गांधी ने प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर को मतदान केंद्रों तक पर संगठन को मजबूत बनाने का निर्देश दिया है। प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद सोनिया गांधी से राजेश ठाकुर की यह पहली मुलाकात भी थी।