झारखंड की राजनीति में इन दिनों बयानबाजी का दौर तेज हो गया है. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी के हालिया आरोपों ने सियासी पारा चढ़ा दिया है. उन्होंने राज्य सरकार पर अपनी जान को खतरा होने और गलत मुकदमों में फंसाने की आशंका जताई थी. इन आरोपों को लेकर सत्ताधारी झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने तीखा पलटवार किया है. झामुमो ने इन दावों को “सस्ती लोकप्रियता हासिल करने की चाल” करार दिया है. झामुमो के महासचिव और प्रवक्ता विनोद पांडेय ने एक बयान जारी कर कहा कि बाबूलाल मरांडी के आरोप पूरी तरह से निराधार, हास्यास्पद और राजनीति से प्रेरित हैं. उन्होंने कहा कि एक वरिष्ठ नेता को इस तरह के हल्के और झूठे बयान देने से पहले अपनी गरिमा और जिम्मेदारी का ध्यान रखना चाहिए.
हेमंत सोरेन की लोकप्रियता से परेशान हैं मरांडी: झामुमो
विनोद पांडेय ने दावा किया कि बाबूलाल मरांडी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की बढ़ती लोकप्रियता से निराश और हताश हो चुके हैं. झामुमो नेता के अनुसार, जब-जब सरकार राज्य में पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़े कदम उठाती है, तब-तब मरांडी परेशान हो उठते हैं. उन्होंने कहा कि राज्य की एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) जब निष्पक्ष जांच में जुटती है, तो मरांडी उस पर सवाल उठाने लगते हैं. विनोद पांडेय ने सवाल उठाया कि क्या किसी संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को एक स्वतंत्र जांच एजेंसी को प्रश्न भेजना शोभा देता है? उन्होंने इसे सरकारी अधिकारियों पर दबाव बनाने की कोशिश बताया और कहा कि यह सीधे तौर पर निष्पक्ष जांच को प्रभावित करने का प्रयास है.
विकास परियोजनाओं का विरोध कर रही है भाजपा?
झामुमो प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार जब रांची में रिम्स-2 अस्पताल जैसी जनकल्याणकारी परियोजनाओं को आगे बढ़ाने की दिशा में काम करती है, तो बाबूलाल मरांडी और उनकी पार्टी भाजपा उसका विरोध करने लगते हैं. उन्होंने कहा कि यह नेता प्रतिपक्ष की भूमिका नहीं है कि वह सरकार के हर कदम में बाधा उत्पन्न करे. उन्होंने कहा कि झारखंड की जनता आज विकास चाहती है, न कि ऐसी सियासत जो केवल रोड़े अटकाने का काम करती है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार पारदर्शी और जवाबदेह शासन के लिए कटिबद्ध है और जनहित को सर्वोपरि रखकर फैसले ले रही है.
“जनता ने नकारा है भाजपा और मरांडी को”
विनोद पांडेय ने कहा कि बाबूलाल मरांडी और भाजपा को झारखंड की जनता कई बार नकार चुकी है. उन्होंने कहा कि यदि मरांडी को राज्य की सच्ची चिंता है, तो उन्हें केंद्र सरकार से झारखंड को कोयला रॉयल्टी के 1.40 लाख करोड़ रुपये दिलाने की पहल करनी चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने जनगणना में आदिवासियों के लिए ‘सरना धर्मकोड’ की मान्यता और आरक्षण प्रतिशत में वृद्धि जैसे मुद्दों को भी उठाने की सलाह दी. झामुमो नेता ने कहा कि बाबूलाल मरांडी को अपने राजनीतिक फायदे के लिए झूठे और बेबुनियाद आरोप लगाने के बजाय अपनी ऊर्जा जनहित के कार्यों में लगानी चाहिए. उन्होंने कहा कि झारखंड की जनता को अब सच्चाई और दिखावे में फर्क समझ में आ चुका है और लोग ऐसे बयानों से गुमराह नहीं होंगे.