रांची के सर्कुलर रोड स्थित भगवान बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान में लगी धरती आबा की 25 फीट की आदमकद प्रतिमा की तस्वीर अब संसद भवन में भी दिखेगी। केंद्र सरकार को बिरसा मंडा उद्यान में लगी प्रतिमा की तस्वीर भेजी गई थी, जिसे चयनित कर लिया गया है। 15 नवंबर को भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद भवन में लगने वाली धरती आबा की तस्वीर का अनावरण करेंगे। उद्यान में लगी इस प्रतिमा का निर्माण प्रसिद्ध मूर्तिकार राम सुतार ने किया है।
इस प्रतिमा के चयन के पीछे सबसे बड़ी वजह यह है कि धरती आबा की वास्तविक तस्वीर की तरह ही इस प्रतिमा का निर्माण किया गया है। इस प्रतिमा की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें कोई भाव भंगिमा नहीं है। साधारण सा दिखने वाले धरती आबा के बाएं कंधे पर धनुष टंगा है और दाएं हाथ में एक तीर है। वहीं पीठ पर तुनीर टंगा है। धोती में दिखने वाले धरती आबा के माथे पर पगड़ी और कंधे पर एक चादर की आकृति उकेरी गई है। यह तस्वीर धरती आबा की सादगी का बखान करने के लिए काफी है।
धरती आबा की तस्वीर उलगुलान की याद दिलाएगी
भगवान बिरसा मुंडा की तस्वीर संसद में लगेगी तो यह देश के लिए नीति बनाने वालों को झारखंड के उलगुलान की याद दिलाएगी। क्योंकि भगवान बिरसा मुंडा की पहचान एक आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी, धार्मिक नेता और लोकनायक के रूप में है। उन्होंने एक धार्मिक, सामाजिक आंदोलन का नेतृत्व किया, जो मुख्य रूप से बंगाल प्रेसिडेंसी के छोटानागपुर डिविजन के रांची, खूंटी और पश्चिमी सिंहभूम क्षेत्र में फैला था।
19 वीं शताब्दी के अंतिम चरण में ब्रिटिश राज में बिरसा मुंडा का नाम भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की एक महत्वपूर्ण क्रांतिकारी के रूप में उभरा। उनके द्वारा शुरू किया गया आंदोलन उलगुलान नाम से लोकप्रिय हुआ। इस उलगुलान क्रांति से ब्रिटिश सरकार पर दबाव बना कि वह जनजातीय लोगों के भू-स्वामित्व अधिकारों के बारे में ब्रिटिश नीतियों में सुधार लाएं। संसद में लगने वाली धरती आबा की तस्वीर हर वक्त गलत नीतियों के खिलाफ शुरू किए गए उलगुलान की याद दिलाएगी।