झारखंड के पाकुड़ जिले में रामनवमी को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. दरअसल, रामनवमी आयोजन समिति द्वारा पाकुड़ के 9 गांवों में पारंपरिक तरीके से रामनवमी जुलूस निकालने की अनुमति मांगी गई थी, लेकिन प्रशासन ने इसकी इजाजत नहीं दी. इस फैसले को लेकर झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता चंपाई सोरेन ने सरकार और प्रशासन पर तीखा हमला बोला है. उन्होंने इस निर्णय को हिंदू विरोधी मानसिकता का उदाहरण बताया है.
चंपाई सोरेन ने सरकार से किया सवाल
पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कहा कि क्या अब झारखंड में हिंदू होना अपराध हो गया है? उन्होंने पूछा कि क्या सरकार यह बताना चाहती है कि जहां कहीं भी हिंदू अल्पसंख्यक होंगे, वहां उनके धार्मिक और संवैधानिक अधिकारों को इसी तरह छीन लिया जाएगा? उन्होंने कहा कि पाकुड़ में आदिवासी और हिंदू समाज अब अल्पसंख्यक हो चुका है और एक विशेष समुदाय की आबादी यहां दो-तिहाई के करीब पहुंच चुकी है.
सरकार पर पक्षपात का आरोप
चंपाई सोरेन ने सवाल उठाया कि क्या राज्य सरकार किसी अन्य धर्म के पर्व-त्योहारों पर भी इसी तरह का निर्णय लेने का साहस दिखा सकती है? उन्होंने कहा कि हिंदू और मूलवासी समाज हमेशा से ही शांतिप्रिय रहा है, लेकिन अगर सरकार को लगता है कि वे रामनवमी शोभायात्रा को सुरक्षा नहीं दे सकते, तो यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है.
जुलूस के लिए मांगी गई थी अनुमति
रामनवमी आयोजन समिति ने 4 अप्रैल 2025 को एक आवेदन देकर पाकुड़ के 9 गांवों – कोलाजोड़ा, समसेरा, शहरकोल, गोकुलपुर, नगरनवी, झिकरहार्टी, पिरलीपुर, बहिरग्राम और चोंगाडांगा – में पारंपरिक शोभायात्रा निकालने की अनुमति मांगी थी। उन्होंने बताया था कि यह शोभायात्रा पारंपरिक अस्त्र-शस्त्र और धार्मिक ध्वज के साथ निकाली जाएगी. साथ ही ध्वनि विस्तारक यंत्र का भी उपयोग होगा. समिति ने सुरक्षा देने की भी मांग की थी.
प्रशासन ने नहीं दी अनुमति, बताये कारण
पाकुड़ सदर अनुमंडल पदाधिकारी (एसडीओ) कार्यालय ने 5 अप्रैल 2025 को ज्ञापांक संख्या 403 के तहत इस आवेदन को खारिज कर दिया. एसडीओ कार्यालय ने अपने जवाब में कहा कि समिति द्वारा आवेदन में यह नहीं बताया गया कि शोभायात्रा में कितने लोग शामिल होंगे. इसके अलावा लाइसेंस से संबंधित जरूरी दस्तावेज भी आवेदन के साथ नहीं लगाए गए थे. इन्हीं आधारों पर कार्यक्रम की अनुमति देने से इनकार कर दिया गया.
एसडीओ ने दी चेतावनी
एसडीओ ने आयोजन समिति से साफ कहा कि वे यह कार्यक्रम आयोजित न करें. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर इस आदेश की अवहेलना की गई, तो भारतीय न्याय संहिता की धारा 223 के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी. यह आदेश आयोजन समिति के प्रमुख प्रसन्ना मिश्रा, पाकुड़ नगर थाना प्रभारी और अंचल अधिकारी को भी भेजा गया है, ताकि वे इस आदेश को सख्ती से लागू कराएं.
एसपी ने दी सफाई, कहा – सब कुछ शांतिपूर्वक
वहीं पाकुड़ के पुलिस अधीक्षक (एसपी) ने इस विवाद पर सफाई देते हुए कहा कि जिले में जितने भी पारंपरिक अखाड़े हैं, वे सभी शांतिपूर्वक जुलूस निकाल रहे हैं. उन्होंने कहा कि जिले में किसी प्रकार की अशांति की स्थिति नहीं है. सभी इलाकों में दंडाधिकारी और पुलिस बल की तैनाती की गई है ताकि किसी भी स्थिति से निपटा जा सके.
विवाद बढ़ने के आसार
यह मामला अब सियासी रंग ले चुका है. चंपाई सोरेन के बयान के बाद भाजपा इस मुद्दे को लेकर सरकार पर और हमलावर हो सकती है. वहीं प्रशासन अपनी दलील पर कायम है कि अनुमति न देने का फैसला नियमों और दस्तावेजों की कमी के आधार पर लिया गया है, न कि किसी विशेष समुदाय के खिलाफ.