डर से बाहर निकाल कर, विकास योजनाओं से जुड़ रहे हैं कुंदा प्रखंड के लोग..

Chatra एक दशक पूर्व तक कुंदा प्रखंड में गोलियों की आवाज दिन दहाड़े सुनायी देती थी। दहशत का यह कोहराम दिन में भी ठहरने का नाम नहीं लेता था। अंधाधुन एक के बाद एक गोलियों की आवाज से आसपास के लोग खोफ में रहते थे। कई लोग नक्सलियों के डर से पलायन कर गये थे। लेकिन कहते हैं ना वर्ष बीते ही हालात सुधर जाते है। आज कुंदा की आबोहवा बदल गयी है। पांच वर्षों में यहां काफी बदलाव आया है। इन पांच वर्षों में प्रखंड का बहुत विकास हुआ है गांवों में बिजली पहुंची है, सड़कें बनी है, गांवों में शहर जैसी सुविधाएं मिल रही है, नदी पर पुल बनाये गये है, बिजली व सड़क ने लोगों की किस्मत बदल दी है। रोजगार की तलाश में डर से प्रवास कर गए युवा गांव में आकर दुकान खोल रोजगार से जुड़ रहे है और रोजगार श्रीजन भी कर रहे है साथ ही दूसरों को भी रोजगार उपलब्ध करा रहे है।

अब स्कूल जाते हैं बच्चे….
गांव में बंजर पड़ी जमीन में अब हरियाली नजर आ रही है। गांव के सरकारी स्कूलों में जहां बच्चे डर के कारण पढ़ाई करने नहीं जाते थे वहीं अब स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ गयी है। आज उन स्कूलों में से पढ़ाई की धुन सुनाई दे रही है, जहां से वर्षों पूर्व गोलियों की आवाज सुनायी देती थी। बच्चों के हाथों में पेंसिल, कलम और कॉपियां दिखायी दे रहे है। बच्चे डर को खत्म कर आगे आकर प्रतियोगी परीक्षाओं में भी भाग ले रहे है और सफल होकर प्रखंड का नाम रोशन कर रहे है। गांव के बच्चे सिर्फ पढ़ाई तक ही सीमित नहीं रहे आगे बढ़कर उन्होंने खेलकूद के क्षेत्र में भी अपनी पहचान बनाई है। इन पांच वर्षों में कुदा गांव ने काफी विकास कर लिया है।

हो रहा विकास योजनाओं का संचालन….
गांव की स्थिति इतनी डरावनी थी की कोई भी पदाधिकारी गांव में प्रवेश करने से कतराते थे। विकास योजनाओं से कोसों दूर चल रहा यह गांव बाकी गाँवो के मुकाबले बहुत पीछे था। लेकिन आज उन गांवों में पहुंच कर पदाधिकारी विकास योजनाओं का स्थल निरीक्षण कर रहे है। एक समय पर पीछे छूट गया कुंदा प्रखंड आज विकास की ओर लगातार बढ़ रहा है। यह सब नक्सली गतिविधियां कम होने से संभव हो पाया है। गांव में पढ़ी-लिखी महिलाएं और युवतियां रोजगार से जुड़ कर आत्मनिर्भर बन रही है। सिलाई, कोचिंग सेंटर दुकान आदि से जुड़ कर रोजगार के साथ स्वावलंबी बन रही है।

20 गांव से जुड़ी सड़क….
सड़क निर्माण में 20 गांव को सड़क से जोड़ा गया है। प्रखंड के कुंदा, मेदवाडीह, नवादा, बनियाडीह, लोटवा, सिकीदाग, पिंजनी, पोटम, कोजरम, चाया, भूरहा, बौधाडीह, नावाडीह, काशिलौंग, सरजामातु, शाहपुर, कुटिल मारगड़ा, टीटही भरगव, सिंदरी, बैलगड़ा, चेतमा, चिलोई, मौना, बैरियाचक समेत कई गांव में पीएमजीएसवाई से सड़क निर्माण कर उन्हें मुख्यालय से जोड़ा गया है। सड़क निर्माण होने के बाद गांव में आवागमन की सुविधा हुई है। लोग रात में भी बेखौफ होकर सड़कों से आवागमन करते है। किसी प्रकार की इमर्जेंसी में सड़क की सुविधा बड़ी घटनाओं से बचाती है। सड़क की सुविधा ने गांव के विकास को और भी आगे बढ़ा दिया है।

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