रांची: राजधानी रांची के लोग इन दिनों बिन मौसम बिजली कटौती की मार झेल रहे हैं। किसी पूर्व सूचना के बिना कभी भी बिजली काट दी जाती है। न बिजली जाने का कोई निश्चित समय है और न ही आने का। कभी मेंटेनेंस के नाम पर घंटों बिजली गुल रहती है, तो कभी हल्की बारिश या हवा के झोंके में ही बिजली गायब हो जाती है।
स्थिति इतनी बिगड़ चुकी है कि आम जनजीवन प्रभावित होने लगा है। लोग गर्मी और उमस में बेहाल हैं, वहीं ऑफिस वर्क से लेकर बच्चों की पढ़ाई तक प्रभावित हो रही है।
बिजली विभाग का दावा, “कमी नहीं, मेंटेनेंस चल रहा है”
इस मुद्दे पर जब झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (JBVNL) के अधीक्षण अभियंता रांची, डीएन साहु से पूछा गया, तो उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्य में बिजली की कोई कमी नहीं है। उनका कहना है कि कभी-कभी मेंटेनेंस के कारण कुछ क्षेत्रों में थोड़े समय के लिए बिजली कटाई जाती है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि अगर कहीं कोई तकनीकी गड़बड़ी है, तो उसे जल्द ठीक किया जाएगा।
आलाधिकारियों को नहीं कोई चिंता, उन्हें बिजली कटौती से राहत
बिजली कटौती से जहां आम लोग परेशान हैं, वहीं राजधानी के बड़े अधिकारियों को इसका कोई फर्क नहीं पड़ता। उनके आवासों पर या तो शक्तिशाली जनरेटर की व्यवस्था है या फिर दोहरी लाइन से निर्बाध बिजली आपूर्ति होती है।
हर मोहल्ले में बिजली संकट, फिर भी कोई सुनवाई नहीं
राजधानी के अधिकांश मोहल्लों में बिजली कटौती की स्थिति एक जैसी बनी हुई है। मोरहाबादी के टैगोर हिल इलाके में वर्षों से नियमित बिजली आपूर्ति नहीं हो रही है। तीन से चार घंटे की बिजली कटौती यहां आम बात है।
लालपुर इलाके में कभी बिजली आपूर्ति में सुधार देखने को मिला था, लेकिन अब वहां भी दिन में चार-पांच बार बिजली जाना आम हो गया है। न्यू एजी कॉलोनी में तो स्थिति और भी खराब है। यहां हवा चलने मात्र से ही बिजली चली जाती है और दिन में तीन-चार बार की कटौती सामान्य मानी जा रही है।
सूचना देने का वादा भी अब बेमानी
विभाग की ओर से पहले यह आश्वासन दिया गया था कि बिजली कटौती से पहले अखबारों में सूचना दी जाएगी। शुरुआत में यह औपचारिकता निभाई भी गई, लेकिन अब बिना किसी सूचना के ही बिजली काट दी जाती है।
गनीमत यह रही कि इस साल गर्मी अपेक्षाकृत कम पड़ी है, वरना जनता की हालत और भी बदतर हो जाती।
जनता का सवाल — कब सुधरेगी व्यवस्था?
राजधानी के नागरिक अब यह सवाल कर रहे हैं कि जब बिजली की कोई कमी नहीं है, तो फिर अनियमित आपूर्ति क्यों? विभाग के दावे और जमीनी हकीकत में भारी अंतर दिख रहा है।
ज़रूरत इस बात की है कि बिजली वितरण प्रणाली को दुरुस्त किया जाए, जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय हो और आम जनता को राहत दी जाए। वरना आने वाले दिनों में यह असंतोष किसी बड़े जन आंदोलन का रूप ले सकता है।