रांची में पौष मेले का आयोजन: बंगाली संस्कृति और परंपरा का उत्सव…..

रांची के भगवान बिरसा मुंडा स्मृति पार्क (जेल पार्क) में आज से शुरू हो रहे पौष मेले में शहरवासी बंगाली समुदाय की समृद्ध परंपरा और स्वादिष्ट व्यंजनों से रूबरू हो सकेंगे. बंगाली युवा मंच चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से 28 और 29 दिसंबर को इस मेले का द्वितीय संस्करण आयोजित किया जा रहा है. यह मेला पूरी तरह नि:शुल्क है, जिसमें प्रवेश ईस्ट जेल रोड स्थित गेट से किया जा सकता है.

बंगाली परंपरा की झलक

पौष मेले में आगंतुकों को बंग समुदाय की पारंपरिक जीवनशैली, कला और खानपान के करीब ले जाने का प्रयास किया गया है. ट्रस्ट के मुख्य संरक्षक सुप्रियो भट्टाचार्य ने बताया कि मेला स्थल को पारंपरिक बंगाली सज्जा से संवारा गया है. प्रवेश द्वार से लेकर पूरे परिसर में ढेका, चलनी, टुकरी और ताड़ के पत्तों से बने हाथ पंखे जैसी वस्तुएं लगाई गई हैं. ये सभी चीजें बंगाली संस्कृति की गहरी झलक पेश करती हैं.

सांस्कृतिक कार्यक्रम और प्रतियोगिताएं

यह दो दिवसीय मेला न केवल परंपरा बल्कि कला और संस्कृति का संगम भी होगा. मेले के दौरान कई सांस्कृतिक कार्यक्रम और प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी. इनमें पेंटिंग और ड्रॉइंग प्रतियोगिता से लेकर फैशन शो और हास्य नाटक तक शामिल हैं.

कार्यक्रम का समय और विशेषताएं:

शनिवार, 28 दिसंबर:

• दोपहर 1 बजे से मेले की शुरुआत.

• शाम 5:30 बजे सादगीपूर्ण उद्घाटन समारोह.

• शाम 6 बजे फैशन शो.

• शाम 6:40 बजे मौलाली रंगशिल्पी कोलकाता की ओर से हास्य नाटक का मंचन.

• शाम 7:30 बजे सारेगामा कोलकाता फेम गुरुजीत सिंह की प्रस्तुति.

सुप्रियो भट्टाचार्य ने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर घोषित सात दिवसीय राष्ट्रीय शोक को ध्यान में रखते हुए उद्घाटन समारोह को सादगीपूर्ण रखा जाएगा.

पौष मेले की खासियतें

पौष मेला रांचीवासियों के लिए एक ऐसा अवसर है, जहां वे बंगाली परंपराओं और सांस्कृतिक विविधताओं से जुड़ सकते हैं. मेला स्थल को खासतौर पर बंगाली परिवेश में ढाला गया है, जिससे आगंतुकों को एक अनूठा अनुभव मिलेगा. यहां आने वाले लोग पारंपरिक बंगाली व्यंजनों का आनंद ले सकेंगे, जिनमें पायस, शुक्तो, माछेर झोल और अन्य स्वादिष्ट व्यंजन शामिल हैं.

स्थानीय और बाहरी कलाकारों की भागीदारी:

मेले में झारखंड समेत आसपास के राज्यों के कलाकार भी भाग लेंगे. वे अपने हुनर और कला का प्रदर्शन करेंगे। इनमें पेंटिंग, ड्रॉइंग और हस्तशिल्प शामिल हैं. साथ ही, विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से मेले को और भी मनोरंजक बनाया जाएगा.

आयोजन के उद्देश्य और महत्व

पौष मेला का मुख्य उद्देश्य बंगाली संस्कृति और परंपरा को बढ़ावा देना और समाज को उससे परिचित कराना है. बंगाली युवा मंच चैरिटेबल ट्रस्ट ने इस मेले के जरिए न केवल सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखा है, बल्कि समाज के हर वर्ग के लोगों को एक साथ जोड़ने की कोशिश भी की है.

संपर्क और पहुंच:

मेला स्थल पर जाने के लिए ईस्ट जेल रोड स्थित गेट से प्रवेश किया जा सकता है. यह मेला सुबह से लेकर रात तक खुला रहेगा, ताकि अधिक से अधिक लोग इसका लाभ उठा सकें.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

×