अवैध खनन और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में आरोपी पंकज मिश्रा का इलाजअब सीआईपी ( केंद्रीय मन: चिकित्सा संस्थान) में होगा। पंकज मिश्रा को रिम्स के पेइंग वार्ड से सीआईपी ले जाया गया है। पंकज मिश्रा सीआईपी में इलाज के लिए तैयार नहीं थे। पुलिस के लगातार मनाने और समझाने के बाद भी वह इलाज के लिए सीआईपी नहीं जाना चाहते थे। 5 दिसंबर को पुलिस लाइन से अतिरिक्त जवानों को बुलाकर पंकज मिश्रा को जबरन रिम्स के पेइंग वार्ड से सीआईपी ले जाया गया। अब मनोचिकित्सक पंकज मिश्रा का इलाज करेंगे। पुलिस के जवानों ने जबरन कमरा खाली कराया।
सीआईपी में इलाज नहीं कराना चाहते पंकज मिश्रा
बरहेट विधानसभा के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा सीआईपी के नशामुक्ति केंद्र में इलाज नहीं कराना चाहता थे। रिम्स मेडिकल बोर्ड की सलाह पर रांची पुलिस रिम्स के पेइंग वार्ड पहुंची और पंकज मिश्रा से सीआइपी स्थित नशा मुक्ति केंद्र चलने को कहा, तो उसने जाने से इनकार कर दिया था। जेल प्रबंधन ने पीएमएलए कोर्ट को लिखित जानकारी देते हुए कहा था कि रिम्स अधीक्षक को जेल प्रशासन ने अवगत कराया है कि सीआइपी में इलाज की व्यवस्था की जा रही है. पंकज मिश्रा को वहां शिफ्ट कराने पर आपके यहां से छुट्टी कर दी गयी है।
नशे का शिकार है पंकज मिश्रा
पंकज मिश्रा को फोर्टविन का इंजेक्शन लेने की लत है। वह लंबे समय से इस इंजेक्शन का इस्तेमाल करता रहा है। पंकज हर रात सोने से पहले यह इंजेक्शन लेता है। इसका खुलासा रिम्स में भर्ती होने के बाद डॉक्टरों को खुद पंकज मिश्रा ने बताया था। फोर्टविन दर्द निवारक और हल्की बेहोशी की दवा है। यह एक सिंथेटिक नारकोटिक दवा है, जिसका उपयोग डॉक्टर ऑपरेशन से पहले मरीज को हल्की बेहोशी के लिए करते हैं।
कब क्या हुआ
पंकज मिश्रा को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 19 जुलाई 2022 को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बाद उसकी तबीयत बिगड़ गयी थी। तबीयत बिगड़ने पर उसे रिम्स में इलाज के लिए भर्ती कराया गया था। तब से वह रिम्स में ही भर्ती था। उसने जमानत की याचिका दाखिल की थी, लेकिन 26 नवंबर को उसे कोर्ट ने खारिज कर दिया। उल्लेखनीय है कि 1000 करोड़ रुपये से अधिक के मनी लाउंडरिंग केस में हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि पर 4 जून को प्राथमिकी दर्ज की गयी थी। उसके खिलाफ साहिबगंज जिले के बरहड़वा थाना में वर्ष 2020 में ही प्राथमिकी दर्ज हुई थी।