मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि पंचायत चुनाव नहीं होने से राज्य सरकार को 700 से 800 करोड़ का नुकसान हो चुका है। जिस ट्रिपल टेस्ट के बारे में हमेशा सदन में बात आ रही है, उसमें सर्वोच्च न्यायालय के आदेश में कहीं यह नहीं कहा गया है कि ट्रिपल टेस्ट कराए बगैर पंचायत चुनाव नहीं होंगे। यदि ऐसा रहता तो ओडिशा, पश्चिम बंगाल, बिहार, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र में पंचायत चुनाव नहीं होते। झारखंड में 2021 से पंचायत चुनाव लंबित है। मुख्यमंत्री बजट सत्र के दौरान झारखंड विधानसभा में पंचायत चुनाव को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे।
उन्होंने कहा कि विपक्ष इस मामले में दोहरी नीति अपना रहा है। चुनाव भी करने के लिए दवाब बना रहा है और ट्रिपल टेस्ट भी कराने की बात करता है। मुख्यमंत्री ने दावा किया कि मुझे तो यह जानकारी मिली है कि विपक्ष चुनाव के लिए मुखिया को सड़क पर उतारने का माहौल बना रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि विधानसभा में भी पिछड़ी जाति के कई सदस्य है। यहां कहा आरक्षण है। जहां ओबीसी बहुल क्षेत्र है वहां तो ओबीसी चुनकर आएंगे ही। ट्रिपल टेस्ट कराने में समय लगेगा और सरकार को धन की भी हानि होगी। कहा कि ट्रिपल टेस्ट पर भविष्य में निर्णय लेंगे, इसके लिए कमेटी भी बनेगी। इसलिए सरकार बिना ट्रिपल टेस्ट कराए पंचायत चुनाव कराएगी।
इससे पूर्व आजसू विधायक लंबोदर महती ने मुख्यमंत्री प्रश्नकाल में ट्रिपल टेस्ट कराकर पंचायत चुनाव कराने का मांग मुख्यमंत्री प्रश्न काल में की। यह भी कहा कि ट्रिपल टेस्ट न होने से लगभग 1.85 करोड़ पिछड़ी जाति का हक मारा जाएगा। जहां तक समय की बात है तो सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि ट्रिपल टेस्ट दो माह के अंदर करना होगा।