14 साल में पर्यटन और विकास का हब बना ओरमांझी, ग्रामीण से शहरी क्षेत्र में तेजी से हुआ बदलाव……

राजधानी रांची से करीब 28 किलोमीटर दूर स्थित ओरमांझी कभी पूरी तरह से ग्रामीण इलाका हुआ करता था. लेकिन वर्ष 2000 के बाद यहां शहरीकरण इतनी तेज़ी से हुआ कि अब यह क्षेत्र न केवल रांची से नजदीक महसूस होता है, बल्कि एक प्रमुख व्यावसायिक और पर्यटन केंद्र के रूप में भी उभर चुका है. वर्ष 2000 में ओरमांझी के 95 प्रतिशत इलाके ग्रामीण क्षेत्र में शामिल थे. उस समय यहां की कनेक्टिविटी भी काफी खराब थी, जिस वजह से लोग रांची से यहां आने से कतराते थे. लेकिन जैसे-जैसे सड़कें बेहतर हुईं, खासकर रिंग रोड और फोर लेन सड़क के बनने से, ओरमांझी राजधानी से और नजदीक होता गया. ओरमांझी उपखंड में पहले लगभग 17,700 घर थे, जिनमें से मात्र 813 शहरी क्षेत्र में आते थे और बाकी 16,954 ग्रामीण थे. लेकिन 2024 के विधानसभा चुनाव में यहां मतदाताओं की संख्या 75,000 से भी अधिक हो गई. 2011 की जनगणना के अनुसार, यहां की आबादी करीब 94 हजार थी, जो अब ढाई लाख के पार जा चुकी है.

पर्यटन और शिक्षा का हब बना ओरमांझी

बीते 14 सालों में ओरमांझी एक पर्यटन स्थल के रूप में भी लोकप्रिय हो गया है. भगवान बिरसा जैविक उद्यान, बटरफ्लाई पार्क, मनातू का वाटर पार्क जैसे कई स्थान अब लोगों के आकर्षण का केंद्र बन चुके हैं. इसके साथ ही ओरमांझी में दो यूनिवर्सिटी, छह से अधिक बीएड और नर्सिंग कॉलेज, कोचिंग संस्थान और 50 से अधिक छोटे-बड़े लॉज खुल चुके हैं. फोर लेन सड़क बनने से इस क्षेत्र की कनेक्टिविटी जबरदस्त तरीके से बढ़ी है, जिससे व्यवसायों को भी बढ़ावा मिला है. अब यहां गाड़ियों के पांच बड़े ब्रांड के शोरूम, 30 से अधिक होटल, ढाबा और रेस्टोरेंट भी खुल गए हैं. इससे रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं.

समस्याएं भी कम नहीं

जहां ओरमांझी का विकास तेजी से हो रहा है, वहीं कुछ समस्याएं अब भी जमी हुई हैं. फोर लेन सड़क के कारण तेज रफ्तार गाड़ियों से हादसों की संख्या बढ़ी है. ओरमांझी चौक पर ठेले-खोमचे वालों के अतिक्रमण के कारण जाम लगना आम बात हो गई है. स्थानीय लोगों की मानें तो ओरमांझी अब शहर में तब्दील हो चुका है, लेकिन गली-मोहल्लों की सड़कें अभी भी जर्जर हालत में हैं. कॉलोनियों में मूलभूत सुविधाओं की कमी है, जिस पर सरकार को ध्यान देने की आवश्यकता है.

स्थानीय लोगों की राय

स्थानीय व्यवसायी विष्णुचरण महतो का कहना है कि “इलाका तेजी से बदल रहा है लेकिन कॉलोनियों में सुविधाएं अब भी अधूरी हैं.” वहीं समाजसेवी कुलदीप प्रसाद साहू का मानना है कि “सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों के बनने से ओरमांझी अब हॉस्पिटल हब की शक्ल ले चुका है. स्थानीय निवासी समुंदर पाहन बताते हैं, “मुख्य सड़कें तो बनी हैं लेकिन मोहल्लों की सड़कों का हाल आज भी वैसा ही है”. राखी कुमारी कहती हैं, “बैंकिंग, अस्पताल जैसी सुविधाएं बढ़ी हैं लेकिन अंदरूनी गलियों का विकास अब भी अधूरा है.”

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