झारखंड हाईकोर्ट ने बुधवार को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए धनबाद कोल बोर्ड सोसाइटी को भंग करने के आदेश को रद्द कर दिया। चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव और जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ ने यह महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कोऑपरेटिव सोसाइटी के रजिस्ट्रार के पास इस प्रकार की संस्था को भंग करने का अधिकार नहीं है।
यह मामला 2022 का है, जब कोऑपरेटिव सोसाइटी के रजिस्ट्रार ने धनबाद कोल बोर्ड सोसाइटी को भंग कर दिया था और इसके स्थान पर एक प्रशासक की नियुक्ति कर दी गई थी। इस आदेश को चुनौती देते हुए तत्कालीन सचिव अरविंद कुमार सिंह ने झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अजीत कुमार, अपराजिता भारद्वाज और श्रुति श्रेष्ठ ने कोर्ट में अपनी दलीलें प्रस्तुत कीं।
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि कोऑपरेटिव सोसाइटी के रजिस्ट्रार को सोसाइटी को भंग करने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस प्रकार के निर्णय लेते समय रजिस्ट्रार को कानूनी प्रावधानों और प्रक्रिया का पालन करना चाहिए, जो इस मामले में नहीं किया गया।
कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि इस प्रकार का हस्तक्षेप न केवल सोसाइटी के संविधानिक अधिकारों का उल्लंघन करता है, बल्कि इसके सदस्यों के हितों पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है।
याचिकाकर्ता अरविंद कुमार सिंह के वकीलों ने तर्क दिया कि रजिस्ट्रार का आदेश असंवैधानिक और नियमों के विपरीत है। उन्होंने कोर्ट को बताया कि सोसाइटी को भंग करने से इसके सदस्यों को नुकसान हुआ है और यह निर्णय व्यक्तिगत लाभ और राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते लिया गया था।
हाईकोर्ट के इस फैसले से धनबाद कोल बोर्ड सोसाइटी के सदस्यों में खुशी की लहर दौड़ गई है। कोर्ट का यह फैसला न केवल उनके अधिकारों की रक्षा करता है, बल्कि भविष्य में इस प्रकार के हस्तक्षेप पर भी रोक लगाएगा।