रांची: रमजान के पाक महीने के अवसर पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कांके रोड स्थित अपने आवास पर दावत-ए-इफ्तार का आयोजन किया। इस इफ्तार पार्टी में सत्ता पक्ष के सभी मंत्री, विधायक और स्पीकर मौजूद रहे, लेकिन विपक्षी दलों के नेता इससे दूरी बनाए रहे।
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मुख्यमंत्री आवास में आयोजित इस कार्यक्रम में रोजेदारों ने नमाज अदा कर राज्य की खुशहाली और तरक्की के लिए दुआ की। इस मौके पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सभी को रमजान की बधाई दी और राज्य में अमन-चैन, भाईचारा और विकास की दुआ मांगी। खास बात यह रही कि आने वाले मेहमानों का स्वागत मुख्यमंत्री की पत्नी और गांडेय से जेएमएम विधायक कल्पना सोरेन ने किया। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ उनकी पत्नी और बच्चे भी इस इफ्तार में शरीक हुए।
इफ्तार पार्टी पर सियासी बयानबाजी
मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित इस इफ्तार पार्टी के सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के विधायकों ने इस इफ्तार से दूरी बनाए रखी। बीजेपी विधायक सी पी सिंह ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि वे किसी भी इफ्तार पार्टी में शामिल नहीं होते।
वहीं, मंत्री सुदिव्य कुमार ने इस पर जवाबी हमला बोलते हुए कहा कि बीजेपी के कुछ विधायक इफ्तार पार्टियों में अलग-अलग स्थानों पर शामिल हुए हैं, लेकिन सी पी सिंह को स्पष्ट करना चाहिए कि क्या वे अब बीजेपी की विचारधारा से अलग हो गए हैं।
मंत्री इरफान अंसारी की प्रतिक्रिया
स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पहल की सराहना की और कहा कि देश के अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी इसका अनुसरण करना चाहिए। इस दौरान उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भी निशाना साधा।
स्पीकर और अन्य नेताओं की प्रतिक्रिया
इफ्तार पार्टी में शामिल स्पीकर रबीन्द्र नाथ महतो ने इसे धार्मिक एकता का प्रतीक बताया और दूसरे दलों से भी इस तरह के आयोजन करने की अपील की। राज्यसभा सांसद सरफराज अहमद ने माह-ए-रमजान की बधाई दी और इस परंपरा की सराहना की।
नेताओं और विधायकों की मौजूदगी
इस इफ्तार पार्टी में मंत्री दीपक बिरुवा, मंत्री चमरा लिंडा, मंत्री संजय प्रसाद यादव, मंत्री रामदास सोरेन, मंत्री इरफान अंसारी, मंत्री हफीजुल हसन अंसारी, मंत्री दीपिका पांडे सिंह, मंत्री सुदिव्य कुमार के अलावा कई विधायक, पूर्व मंत्री और बड़ी संख्या में रोजेदार उपस्थित रहे। इस आयोजन ने जहां धार्मिक समरसता का संदेश दिया, वहीं विपक्ष की गैरमौजूदगी ने इसे राजनीतिक चर्चा का विषय बना दिया।