भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के मद्देनजर, केंद्र सरकार ने 7 मई 2025 यानि आज देशभर में सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल आयोजित करने का निर्णय लिया है. यह अभ्यास विशेष रूप से झारखंड के पांच जिलों—रांची, जमशेदपुर, गोड्डा, साहिबगंज और बोकारो—में छह स्थानों पर किया जाएगा. इसका उद्देश्य नागरिकों को आपातकालीन स्थितियों, जैसे हवाई हमले या युद्ध, के लिए तैयार करना है.
ऑपरेशन सिंदूर
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 भारतीय नागरिकों की मृत्यु के बाद, भारत ने 6 मई को मॉकड्रिल का भी मॉकड्रिल कर दिया, “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान-प्रशासित कश्मीर में नौ आतंकवादी ठिकानों पर सटीक हवाई हमले किए. इन हमलों का उद्देश्य जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिज्बुल मुजाहिदीन जैसे आतंकवादी संगठनों के बुनियादी ढांचे को नष्ट करना था.
किन-किन जगहों पर होगी मॉक ड्रिल?
झारखंड के पांच जिलों में मॉक ड्रिल इस प्रकार से आयोजित की जाएगी:
• रांची: डोरंडा थाना क्षेत्र में शाम 4 बजे से मॉक ड्रिल की योजना है.
• जमशेदपुर: एक स्थान पर ड्रिल होगी.
• गोड्डा: एक स्थान तय किया गया है.
• साहिबगंज: मॉक ड्रिल के लिए एक लोकेशन चुनी गई है.
• बोकारो: जिले में दो स्थानों – बोकारो शहरी क्षेत्र और गोमिया में ड्रिल की योजना है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य सरकारों को यह छूट दी है कि वे अपने स्तर पर जरूरत के हिसाब से मॉक ड्रिल के स्थानों की संख्या बढ़ा सकते हैं. हालांकि, फिलहाल झारखंड में छह ही स्थानों पर इसका आयोजन किया जा रहा है.
मॉक ड्रिल से जुड़े दिशा-निर्देश
राज्य सरकार के आपदा प्रबंधन विभाग ने सभी जिलों के उपायुक्तों को इस संबंध में निर्देश जारी कर दिए हैं. विभाग के सचिव राजेश शर्मा ने बताया कि जिलों के उपायुक्त अपने-अपने इलाके की स्थिति को देखते हुए मॉक ड्रिल के स्थान और समय का चयन कर सकते हैं. मॉक ड्रिल से पहले सभी जिलों के डीसी, एसएसपी और एसपी की बैठक भी हो चुकी है, जिसमें ड्रिल के हर बिंदु पर विस्तार से चर्चा की गई है. रणनीति के तहत, आम लोगों को सूचित किया गया है कि यह केवल एक अभ्यास है, ताकि किसी भी प्रकार की अफवाह से बचा जा सके.
क्या होती है सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल?
सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल का उद्देश्य लोगों को आपात स्थितियों से निपटने का प्रशिक्षण देना होता है. खासकर युद्ध या आतंकी हमलों जैसी स्थिति में नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यह अभ्यास किया जाता है.
ड्रिल के दौरान:
• हवाई हमले की चेतावनी देने वाले सायरन बजाए जाते हैं.
• रात के समय ब्लैकआउट (सभी लाइटें बंद करना) का अभ्यास कराया जाता है.
• लोगों को सिखाया जाता है कि किस तरह से घरों से निकलकर सुरक्षित स्थानों तक पहुंचा जाए.
• आम जनता को यह भी समझाया जाता है कि ऐसी स्थिति में क्या करें और क्या नहीं करें.
• यह अभ्यास खासकर शहरी क्षेत्रों के लिए बहुत जरूरी है, जहां जनसंख्या घनत्व अधिक होता है और हवाई हमले या आतंकी घटनाओं की स्थिति में नुकसान की आशंका ज्यादा रहती है.
कौन-कौन लोग रहेंगे शामिल?
इस मॉक ड्रिल में स्थानीय जिला प्रशासन, सिविल डिफेंस विंग, गृह रक्षा वाहिनी, एनसीसी, राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS), नेहरू युवा केंद्र संगठन के सदस्य, साथ ही स्कूल और कॉलेज के छात्र भी भाग लेंगे. इन सभी को विशेष तौर पर प्रशिक्षण दिया जाएगा कि आपातकालीन स्थिति में कैसे प्रतिक्रिया दी जाए.
क्यों जरूरी है ये अभ्यास?
हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता बढ़ गई है. इसके अलावा भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए ऐसी मॉक ड्रिल की आवश्यकता और अधिक बढ़ गई है. सरकार चाहती है कि हर नागरिक को संकट की घड़ी में खुद को और अपने परिवार को सुरक्षित रखने की समझ हो. इस मॉक ड्रिल के जरिए न केवल प्रशासनिक एजेंसियों की तैयारी को परखा जाएगा, बल्कि आम लोगों को भी जागरूक किया जाएगा कि संकट के समय कैसे संयम और सूझबूझ के साथ काम लिया जाए.