दिग्गज उद्योगपति और टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा का बुधवार, 9 अक्टूबर को निधन हो गया. 86 वर्षीय रतन टाटा उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे और उनका इलाज मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में चल रहा था. उनका झारखंड और विशेषकर जमशेदपुर से गहरा नाता था, जहां उन्होंने कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं की शुरुआत की थी.
2021 में झारखंड का अंतिम दौरा
रतन टाटा आखिरी बार 2021 में झारखंड आए थे. 2 और 3 मार्च 2021 को उन्होंने जमशेदपुर में कई कार्यक्रमों में हिस्सा लिया था. इस दौरान उन्होंने नवल टाटा हॉकी अकादमी के नवनिर्मित भवन का उद्घाटन किया था, जो टाटा स्टील, टाटा ट्रस्ट और टाटा स्टील की सहायक कंपनी इंडियन स्टील एंड वायर प्रोडक्ट्स (आईएसडब्ल्यूपी) के सहयोग से बनाई गई थी. इस हॉकी अकादमी का उद्देश्य झारखंड और ओडिशा के आदिवासी क्षेत्रों में जमीनी स्तर पर हॉकी को बढ़ावा देना है. रतन टाटा के पिता नवल टाटा, जिनके नाम पर यह हॉकी अकादमी बनाई गई थी, खुद भी खेलों के प्रति गहरी रुचि रखते थे. रतन टाटा ने इस अकादमी की स्थापना से अपने पिता की याद को ताजा किया. उन्होंने नवल टाटा हॉकी अकादमी की आधारशिला भी 2 मार्च 2018 को रखी थी, और तीन साल बाद, 2021 में इसका उद्घाटन किया. इस अकादमी के निर्माण का मकसद झारखंड और ओडिशा के प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा के योग्य बनाना था.
रांची में कैंसर अस्पताल की स्थापना
रतन टाटा ने 2018 में रांची में एक कैंसर अस्पताल की आधारशिला रखी थी. उस समय झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास थे और उनके साथ राज्य के स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी भी मौजूद थे. रतन टाटा ने झारखंड को एक महत्वपूर्ण चिकित्सा सेवा का तोहफा दिया था, जिसका उद्देश्य पूर्वोत्तर भारत में कैंसर के इलाज के लिए एक प्रमुख केंद्र बनाना था. इस अस्पताल का निर्माण अभी भी जारी है और इसे झारखंड ही नहीं, बल्कि पूरे पूर्वोत्तर भारत के लिए एक बड़ा कैंसर उपचार केंद्र माना जा रहा है. रघुवर दास, जो उस समय झारखंड के मुख्यमंत्री थे, ने बताया कि कैसे उन्होंने रतन टाटा से “मोमेंटम झारखंड” के दौरान रांची में एक कैंसर अस्पताल खोलने का अनुरोध किया था. रतन टाटा ने इस अनुरोध को तुरंत स्वीकार किया और 10 नवंबर 2018 को खुद रांची में इस अस्पताल के शिलान्यास में शामिल हुए थे. यह पहल रतन टाटा की मानवीय सोच और झारखंड के प्रति उनके गहरे लगाव का एक और उदाहरण है.
जमशेदपुर और झारखंड के प्रति लगाव
रतन टाटा का झारखंड, खासकर जमशेदपुर से विशेष लगाव था. जमशेदपुर को टाटानगर के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि यह शहर टाटा स्टील का मुख्य केंद्र है, जिसे भारत की पहली निजी स्टील कंपनी के रूप में स्थापित किया गया था. रतन टाटा ने अपने कार्यकाल के दौरान इस शहर को लगातार उन्नति की राह पर बनाए रखा. उन्होंने न केवल झारखंड के औद्योगिक विकास में योगदान दिया, बल्कि सामाजिक और चिकित्सा क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया.
झारखंड में अंतिम बार आए
2 मार्च 2021 को रतन टाटा ने आखिरी बार झारखंड का दौरा किया था. उस समय उन्होंने जमशेदपुर में नवल टाटा हॉकी अकादमी, आईआईटी सेंटर और टाटा कंपनी की एक आधारभूत संरचना का उद्घाटन किया था. इसके बाद 3 मार्च को उन्होंने टाटा समूह के स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रमों में भी हिस्सा लिया था. हालांकि, उस समय उनकी तबीयत कुछ ठीक नहीं थी, जिसके कारण वे ज्यादा लोगों से मिल-जुल नहीं सके. उनके इस दौरे के बाद, झारखंड के लोग उन्हें आखिरी बार व्यक्तिगत रूप से देख सके थे.
रतन टाटा का निधन और शोक की लहर
रतन टाटा के निधन की खबर ने टाटा समूह और झारखंड के लोगों को गहरे शोक में डाल दिया. जैसे ही उनके निधन की खबर मिली, जमशेदपुर और पूरे झारखंड में शोक की लहर दौड़ गई. टाटा स्टील और समूह से जुड़े अधिकारी और कर्मचारी, जिन्होंने रतन टाटा के साथ कई साल काम किया था, उनकी याद में भावुक हो गए. टाटा समूह के कर्मचारियों के साथ-साथ झारखंड के आम लोगों के लिए भी यह एक व्यक्तिगत क्षति थी, क्योंकि रतन टाटा का इस राज्य के विकास में विशेष योगदान रहा है. झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रतन टाटा के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया और राज्य में एक दिन के राजकीय शोक की घोषणा की. उन्होंने कहा कि “झारखंड जैसे पिछड़े राज्य को दुनिया में पहचान दिलाने वाले रतन टाटा का निधन हमारे लिए एक अपूरणीय क्षति है”.
रतन टाटा: एक संवेदनशील और महान नेता
रतन टाटा न केवल एक कुशल उद्योगपति थे, बल्कि एक संवेदनशील और मानवीय व्यक्ति भी थे. ओडिशा के राज्यपाल रघुवर दास ने भी उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा, “रतन टाटा झारखंड और जमशेदपुर के प्रति बेहद लगाव रखते थे. उन्होंने हमेशा इस राज्य के लोगों और इसके विकास के लिए काम किया. रघुवर दास, जो टाटा स्टील में काम कर चुके थे, ने याद किया कि कैसे उनके मुख्यमंत्री काल में रतन टाटा से उनका सानिध्य प्राप्त हुआ. उन्होंने बताया कि रतन टाटा की दूरदर्शिता और नेतृत्व ने उन्हें हमेशा प्रेरित किया और उनके साथ बिताए पल उनकी यादों में सदा जीवित रहेंगे.
रतन टाटा की विरासत
रतन टाटा की विरासत केवल टाटा समूह तक ही सीमित नहीं है. उन्होंने भारत के औद्योगिक और सामाजिक ढांचे में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. उन्होंने टाटा समूह को एक अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक पावरहाउस में बदल दिया और अपने नेतृत्व में कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं की शुरुआत की, जिनमें टाटा मोटर्स, टाटा टेलीसर्विसेज, और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज जैसी कंपनियां शामिल हैं. रतन टाटा के नेतृत्व में, टाटा समूह ने न केवल व्यावसायिक क्षेत्र में सफलता प्राप्त की, बल्कि सामाजिक कल्याण के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया. उनकी मानवीय सोच, उदारता और समाज के प्रति उनकी जिम्मेदारी को हमेशा याद किया जाएगा.