बीसीसीएल की ओर से भूमिगत आग और भू-धंसान प्रभावित क्षेत्राें के रैयतों के पुनर्वास के लिए 1640.72 एकड़ जमीन देने का प्रस्ताव दिया गया था। लेकिन जांच के बाद सिर्फ 212 एकड़ जमीन ही सही पाई गई। आपको बता दें कि साल 2021 के संशोधित मास्टर प्लान के मुताबिक भूमिगत आग और भू-धंसान प्रभावित क्षेत्रों के परिवारों का पुनर्वास करना है। इसके लिए कम-से-कम 4100 एकड़ जमीन की जरूरत है।
विस्थापितों में से 30 हजार रैयत परिवार हैं और उनके पुनर्वास के लिए 1600 एकड़ जमीन चाहिए। बीसीसीएल प्रबंधन ने चंदनकियारी में 269.21 एकड़, बलियापुर में 1110.82 एकड़, गाेविंदपुर 43.15 एकड़ और बाघमारा में 217.54 एकड़ जमीन देने की पेशकश की। हालांकि, जिला प्रशासन और जेआरडीए प्रबंधन की जांच में सिर्फ 212 एकड़ जमीन ही सही पाई गई है।
जेआरडीए ने पत्र लिखकर जरूरत के अनुसार बीसीसीएल प्रबंधन से जमीन मांगी है। विस्थापित होने वाले 74 हजार गैर-रैयत परिवारों के लिए भी 2500 एकड़ जमीन चाहिए जो बीसीसीएल काे ही देनी है।
विस्थापित होने वाले सभी परिवाराें काे स्मार्ट सिटी की तर्ज पर बसाया जाना है। झरिया पुनर्वास एवं विकास प्राधिकार (जेआरडीए) प्रबंधन का कहना है कि केंद्र सरकार की गाइडलाइन में सभी परिवाराें काे स्मार्ट सिटी की तर्ज पर बसाने के लिए 10 हजार एकड़ जमीन की जरूरत पड़ रही थी। लेकिन भूमिगत अग्नि प्रभावित धनबाद जिले में इतनी जमीन मिलना संभव नहीं दिख रहा। इसलिए प्लान में एडजस्टमेंट कर तय किया गया कि अगर 4100 एकड़ जमीन भी मिल जाए ताे सबका पुनर्वास संभव है।
जेआरडीए के प्रभारी पदाधिकारी अमर प्रसाद ने बताया कि सभी परिवाराें काे बसाने के लिए जमीन बीसीसीएल काे ही देनी है। मुआवजे की राशि भी उसे ही देनी है। रैयताें काे फ्लैट के बजाय जमीन या मुआवजा देने के विकल्प का भी प्रावधान है। 595 प्वाइंट में रहने वाले रैयतों के आर्थिक सर्वेक्षण के बाद ही जमीन या मुआवजे का निर्धारण किया जाएगा।