धनबाद में बीसीसीएल अब इको टूरिज्म के रूप में अपनी बंद और चालू खदानों को विकसित करेगी। झारखंड सरकार के साथ इसके लिए एमओयू होगा।पर्यटकों के लिए अंडरग्राउंड और ओपन कास्ट माइंस काे खोलने को लेकर वृहद कार्य योजना पर काम शुरू किया गया है।
इसके अनुसार सैलानी डोली से खदान में उतरेंगे और मोनोरेल में बैठकर कोयला उत्पादन की गतिविधियां देखेंगे। राज्य पर्यटन विभाग के एमडी ए दाेड्डे ने बीसीसीएल प्रबंधन काे पत्र लिखकर अंडरग्राउंड माइंस काे टूरिज्म हब के रूप में शामिल करने का सुझाव दिया था। अब पर्यटन विभाग के स्थानीय अधिकारी बीसीसीएल के अधिकारियों के साथ मिलकर स्थलों का मुआयना करेंगे।
बीसीसीएल ने इसके लिए जीएम सीएसआर की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी गठित की है। इसमें सबसे पहले तीन अंडरग्राउंड माइंस काे जाेड़ने की याेजना है जिनमें तेतुलमारी, मुनीडीह और चांदमारी की बेरा काेलियरी प्रस्तावित हैं। बाद में नौ से अधिक माइंस इसमें शामिल होंगी। हालांकि 50 माइंस कोल टूरिज्म के लिए चिन्हित की गई है और 32 में संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। इसी के साथ 2016 में नागपुर के सवनर माइंस के बाद धनबाद में देश का दूसरा कोल माइंस टूरिज्म शुरू होगा।
इसके अलावा कोलियरियों के आसपास खाली पड़ी जमीन पर म्यूजियम बनाए जायेंगे। इसमें गाइड पर्यटकों को कोल उत्पादन व इससे जुड़े इतिहास की पूरी जानकारी देंगे। वहीं, कतरास का पारसनाथ पार्क, गाेंदूडीह खास कुसुंडा का वृंदावन पार्क और लाेदना एरिया का गाेकुल पार्क पर्यटकों के लिए विकसित किया जाएगा। जबकि खनन से निकले कचरे के डंपिंग स्थल को भी पार्क बनाया जाएगा।
बीसीसीएल का मानना है कि कोल टूरिज्म शुरू होने से स्थानीय युवकों काे सीधे ताैर पर राेजगार भी मिलेगा। पर्यटन विभाग के एमडी ए दोड्डे ने बताया कि धनबाद में बंद खदानों व इको पार्क को टूरिस्ट सेंटर बनाने का खाका तैयार कर लिया गया है। इस संबंध में बीसीसीएल को पत्र लिखा गया है। पहले चरण में बीसीसीएल गोकुल पार्क को हैंडओवर कर रही है। कंपनी से बंद खदानें सौंपने का अनुरोध किया गया है।