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झारखंड में ओबीसी आरक्षण की मांग को लेकर निशिकांत दुबे का लोकसभा में बयान….

भारतीय जनता पार्टी के गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे ने झारखंड में ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) के लिए 27% आरक्षण की मांग को लेकर लोकसभा में जोरदार आवाज उठाई. उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि राज्य सरकार पर दबाव बनाकर ओबीसी आरक्षण को 14% से बढ़ाकर 27% किया जाए. दुबे ने तर्क दिया कि देश के अन्य राज्यों में ओबीसी को 27% आरक्षण का लाभ मिल रहा है, जबकि झारखंड के ओबीसी समुदाय को इससे वंचित रखा गया है. दुबे ने अपने बयान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के निर्णय की सराहना की, लेकिन झारखंड में इस समुदाय को उचित प्रतिनिधित्व न मिलने पर निराशा जाहिर की. उन्होंने इस मुद्दे को और गंभीर बताया क्योंकि राज्य सरकार ने जातिगत जनगणना के बावजूद ओबीसी के लिए ठोस कदम नहीं उठाए हैं.

सांसद निशिकांत के आरोप 

सांसद ने आरोप लगाया कि झारखंड में कुछ जातियों को अनुसूचित जाति से हटाकर ओबीसी में शामिल कर दिया गया है, जिससे ओबीसी समुदाय का आरक्षण प्रभावित हो रहा है. इस स्थिति में, ओबीसी समुदाय के लिए आरक्षित सीटों की संख्या में कमी आई है, जो उनके अधिकारों का हनन है. निशिकांत दुबे ने कहा कि झारखंड की सरकार ओबीसी समुदाय के प्रति गंभीर नहीं है और उन्हें उनके अधिकारों से वंचित कर रही है. उन्होंने केंद्र से हस्तक्षेप की मांग की ताकि राज्य में ओबीसी समुदाय को उनका पूरा आरक्षण मिल सके. दुबे ने कहा कि यह मामला न केवल राजनीतिक बल्कि सामाजिक रूप से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है. यदि ओबीसी समुदाय को उनका अधिकार नहीं मिला तो आने वाले समय में इसके बड़े राजनीतिक और सामाजिक परिणाम हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर हस्तक्षेप कर राज्य सरकार पर दबाव डालना चाहिए ताकि ओबीसी समुदाय को न्याय मिल सके.

ओबीसी समुदाय के अन्य संगठनों ने भी उठाई आवाज 

इस मुद्दे पर ओबीसी समुदाय के विभिन्न संगठनों ने भी अपनी आवाज उठानी शुरू कर दी है. वे मांग कर रहे हैं कि झारखंड में ओबीसी आरक्षण को अन्य राज्यों के समान 27% तक बढ़ाया जाए. कई संगठनों का कहना है कि यह उनकी मौलिक अधिकारों का हिस्सा है और इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता. ओबीसी आरक्षण की मांग को लेकर झारखंड के विभिन्न हिस्सों में भी विरोध प्रदर्शन होने की संभावना जताई जा रही है. यह मुद्दा अब केवल संसद तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि राज्य की राजनीति में भी इसे प्रमुखता से उठाया जाएगा. झारखंड के ओबीसी समुदाय ने भी सांसद दुबे के इस कदम की सराहना की है और उम्मीद जताई है कि उनकी आवाज को सुना जाएगा।l. समुदाय के नेताओं ने कहा कि अगर उन्हें उनका अधिकार नहीं मिला तो वे इसे पाने के लिए आंदोलन करेंगे.

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