नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड मेन्युफैक्चरिंग टेक्नोलॉजी (एनआईएएमटी) रांची के छात्रों ने गरीब और जरूरतमंद बच्चों को शिक्षित करने का बेहतरीन प्रयास किया है. यहां के छात्र कर्तव्य कोचिंग सेंटर के माध्यम से बच्चों को निःशुल्क शिक्षा दे रहे हैं. इस कोचिंग में पहले केवल 10वीं कक्षा तक के बच्चों को पढ़ाया जाता था, लेकिन अब 11वीं और जल्द ही 12वीं के छात्रों को भी पढ़ाने की तैयारी की जा रही है.
तीन केंद्रों पर चलती हैं कक्षाएं
एनआईएएमटी के तीन कोचिंग सेंटर हैं, जो हटिया, तुपुदाना और कैंपस के अंदर संचालित होते हैं. इन केंद्रों में रोजाना शाम को कक्षाएं चलती हैं. इन कक्षाओं में 120 बच्चे नियमित रूप से पढ़ाई के लिए आते हैं. बच्चों को न केवल पढ़ाई में मदद मिलती है, बल्कि उन्हें किताबें और अन्य शैक्षणिक सुविधाएं भी दी जाती हैं.
कर्तव्य की शुरुआत और उद्देश्य
इस पहल की शुरुआत 2007 में पूर्व छात्रों द्वारा की गई थी. कर्तव्य के वर्तमान अध्यक्ष मनीष कुमार बताते हैं कि संस्था का उद्देश्य जरूरतमंद बच्चों को शिक्षा के माध्यम से बेहतर भविष्य देना है. यह कोचिंग सेंटर पूरी तरह से एनआईएएमटी के छात्रों द्वारा चलाया जाता है. सेकेंड और थर्ड ईयर के छात्र यहां नियमित रूप से बच्चों को पढ़ाते हैं.
पांच साल में 718 बच्चों को पढ़ाया गया
2019 से लेकर 2023 तक, कर्तव्य कोचिंग सेंटर ने 718 बच्चों को निःशुल्क शिक्षा दी है. ये छात्र सरकारी और निजी स्कूलों में पढ़ते हैं और कोचिंग से उन्हें अतिरिक्त शैक्षणिक सहायता मिलती है. हटिया और तुपुदाना स्थित सेंटर में छात्रों को पढ़ाने का काम मुख्य रूप से पुरुष छात्र करते हैं, जबकि कैंपस स्थित सेंटर में छात्राएं कक्षाएं लेती हैं.
जरूरतमंदों के लिए अतिरिक्त सहायता
पढ़ाई के अलावा, कर्तव्य सेंटर के माध्यम से बच्चों को अन्य सहायता भी दी जाती है. पिछले पांच सालों में, 50-55 बच्चों की पढ़ाई का पूरा खर्च संस्था ने उठाया है. इसमें निजी स्कूलों में नामांकन और फीस का खर्च भी शामिल है. इसके अलावा, बच्चों को किताबें और कोविड-19 के दौरान ऑनलाइन कक्षाओं के लिए मोबाइल फोन भी उपलब्ध कराए गए.
भविष्य की योजनाएं
जनवरी 2025 से संस्था 12वीं बोर्ड के छात्रों को भी पढ़ाने की योजना बना रही है. यह पहल जरूरतमंद छात्रों को बोर्ड परीक्षा की तैयारी में मदद करने के लिए की जा रही है.
शिक्षा के साथ बेहतर भविष्य का सपना
एनआईएएमटी के छात्रों और पूर्व छात्रों का यह प्रयास बच्चों को शिक्षा के साथ आत्मनिर्भर बनने का अवसर दे रहा है. प्रोफेसर, पूर्व छात्र और वर्तमान छात्र, सभी इस मिशन में अपना योगदान दे रहे हैं. यह पहल न केवल गरीब बच्चों के लिए एक उम्मीद है, बल्कि समाज में शिक्षा के महत्व को भी उजागर करती है.