एनजीटी ने झारखंड सरकार पर लगाया 130 करोड़ का जुर्माना, सवालों में तत्कालीन रघुवर सरकार..

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने झारखंड सरकार पर 130 करोड़ रुपये का भारी भरकम जुर्माना लगाया है। ये जुर्माना बिना पर्यावरण स्वीकृति के झारखंड विधानसभा व हाई कोर्ट के नए भवनों के निर्माण को लेकर लगाया गया है|एनजीटी ने ये जुर्माना पर्यावरण को पहुंचे नुकसान के एवज में बतौर मुआवजा लगाया है। एनजीटी ने बुधवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए ये आदेश जारी किया है। आरके सिंह की ओर से इस दिशा में याचिका दायर की गई थी।

इसके अलावा एनजीटी ने राज्य के 55 अन्य भवनों और उसके निर्माताओं को भी चिह्नित किया है| इन सब पर भी भवनों के निर्माण से पूर्व पर्यावरण स्वीकृति नहीं लिये जाने को लेकर कार्रवाई हुई है। आरके सिंह ने बताया कि इस मामले की जांच के लिए एनजीटी नेकेंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के नेतृत्व में एक कमेटी गठित की थी। इस कमेटी के सदस्यों में वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की राज्य इकाई व राज्य पर्यावरण प्रतिघात आकलन अभिकरण(सीया) के पदधारी शामिल थे।

जांच के बाद कमेटी ने अपनी रिपोर्ट एनजीटी को सौंपी थी। सीपीसीबी ने अपनी रिपोर्ट में संबंधित निर्माण के कारण पर्यावरण को पहुंचे नुकसान हेतु राज्य सरकार से मुआवजा वसूलने की अनुशंसा की थी। इसमें विधानसभा भवन के निर्माण के एवज में 49 करोड़ व हाई कोर्ट भवन के एवज में 74 करोड़ से 81 करोड़ तक का मुआवजा तय किया था।

एनजीटी के इस कार्रवाई को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा जारी आदेश की जानकारी उन्हें विभिन्न माध्यमों से प्राप्त हुआ है| सरकारफिलहाल मामले की पूर्णरुपेण अध्ययन करने के बाद ही आधिकारिक तौर पर वक्तव्य जारी करेगी। आदेश की प्रति देखने के बाद निश्चित तौर पर कार्रवाई की जाएगी।

उधर, एनजीटी के इस भारी-भरकम जुर्माने को लेकर राज्य में सियासी बवाल भी शुरू हो गया है| झामुमो ने एनजीटी द्वारा लगाए गये 130 करोड़ के जुर्माने के लिएतत्कालीन रघुवर दास सरकार पर निशाना साधा है| पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास,मुख्य सचिव रही राजबाला वर्मा, तत्कालीन भवन एवं वन पर्यावरण के प्रधान सचिव सहित ठेकेदार की संपत्ति नीलाम कर दंड राशि वसूलने की मांग की है। इसके बाद भी अगर पैसे कम पड़ते हैं तो केंद्र सरकार से वसूली की जाए। क्योंकि प्रधानमंत्री कार्यालय ने इनवॉयरमेंटल और सोशल इंपैक्ट असेसमेंट एवं बिल्डिंग कंप्लीशन सर्टिफिकेट के बिना ही पीएम द्वारा उद्घाटन की स्वीकृति प्रदान कर दी थी।

झामुमो के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा है कि जुर्माने की भरपाई के लिए राज्य की जनता के कर से मिला एक रुपया भी नहीं दिया जाना चाहिए। सुप्रियो ने कहा कि झामुमो ने उस समय इनवॉयरमेंटल, सोशल इंपैक्ट असेसमेंट और बिल्डिंग कंप्लीशन का विषय उठाते हुए पीएम के कार्यक्रम का बहिष्कार भी किया था। लेकिन तत्कालीन रघुवर सरकार पर ऐसी सनक थी कि 12 सितंबर 2019 को पीएम से ढांचे का ही उद्घाटन करा दिया गया। झामुमो के सुझाव को तत्कालीन सीएम, अफसर और ठेकेदार की लूट के लिए बनी तिकड़ी ने मानने से इंकार कर दिया था क्योंकि लूट की राशि में भाजपा भागीदार थी।

वहीं, विधायक सरयू राय ने भी इसके लिए तत्कालीन सरकार को जिम्मेदार ठहराया है|उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार ने बगैर पर्यावरण क्लीयरेंस के प्रधानमंत्री सेविधानसभा भवन का उद्घाटन करवाया। अब जब इन भवनों के अवैध निर्माण को लेकर जुर्माना लगाया गया है तो ये तय किया जाना चाहिए कि जुर्माने की राशि कौन भरेगा| श्री राय ने कहा किप्रधानमंत्री कोउन्होंने इससे अवगत कराया था|अगर पीएम को सही जानकारी दी जाती तो वो विधानसभा भवन का उद्घाटन करने नहीं आते। जितने भी निर्माण को एनजीटी ने चिह्नित किया है उन सभी के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।