आईसीएआर से अधिकृत राष्ट्रीय पशु अनुवांशिकी संसाधन ब्यूरो, करनाल ने हाल में खोजबीन कर 10 नई पशु प्रजाति को पंजीकृत किया है। जिनमें गाय की कटहानी, संचोरी मासिलम, बकरी की सोजात, भैंस की पुर्नाथाडी, गुजारी और करानौली प्रजाति शामिल है। इसके अलावा सुकर की बांडा, मणिपुरी ब्लैक एवं वाक चमबिल प्रजातियां भी मौजूद है। बता दें कि सुकर की नई प्रजाति ‘बांडा’ बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की तरफ से खोज कर निकाली गयी नस्ल है। बीएयू के पशु चिकित्सा संकाय के वैज्ञानिक डॉ रविन्द्र कुमार ने कुल 8-10 सालों तक प्रयास और शोध कर इस नई प्रजाति की खोज की है। जिसे राष्ट्रीय पशु अनुवांशिकी संसाधन ब्यूरो ने ‘बांडा’ के रूप में पंजीकृत किया है। वहीं इसे एक्ससेशन संख्या इंडिया-पिग-2500-09011 दी गयी है।
इतने प्रजाति की हो चुकी है खोज..
दरअसल देश में अबतक वैज्ञानिकों द्वारा सुकर की कुल 13 प्रजाति की खोज ली गयी है, जिसे राष्ट्रीय पशु अनुवांशिकी संसाधन ब्यूरो ने पंजीकृत कर पहचान दी है। वहीं ग्रामीण स्तर पर ‘बांडा’ की मांग ज्यादा होने के कारण सुकरपालकों को इसका बढ़िया मूल्य आसानी से मिलता है।
सुकरपालकों को मिलेगा फायदा..
बीएयू के सुकर प्रजनन फार्म प्रभारी डॉ रविन्द्र कुमार ने जानकारी देते हुए है कहा कि ‘बांडा’ प्रजाति झारखंड राज्य के अलग – अलग जिलों मुख्यतः रांची, गुमला, बोकारो, धनबाद, पश्चिम सिंहभूम, पूर्वी सिंहभूम, समेत अन्य जिलों में अधिक संख्या में मिलती है। दरअसल ‘बांडा’ सुकर की छोटे आकार की प्रजाति है. जिसका रंग काला, थूथन लंबे, कान छोटे, पेट बड़ा और गर्दन पर कड़े बाल होते है। वहीं यह नस्ल एक वर्ष में करीब 20-25 कि. ग्रा. का हो जाता है। साथ ही इसमें एक बार में चार बच्चे देने की क्षमता होती है।