मोरारी बापू ने गिरिडीह के मधुबन में भगवान पारसनाथ की कहानी से की रामकथा के तीसरे दिन की शुरूआत, बापू के मुख से भजन सुनकर माहौल हुआ भक्तिमय, भजन की धुन से श्रद्धालु हुआ भाव विभोर
सम्मेद शिखर की तपोभूमि, तीर्थस्थल मधुबन में प्रसिद्ध कथावाचक आध्यात्मिक संत मोरारी बापू की नौ दिवसीय रामकथा का आयोजन किया गया है. जहां सह प्रसिद्ध रामकथा वाचक मोरारी बापू ने रामकथा के तीसरे दिन की शुरुआत भगवान पारसनाथ की कहानी से की. कहा कि आप कभी दूसरों से लड़ाई ना करें और कभी अपनी बड़ाई ना करें.
नौका की न करें चिंता
नौका जब किनारे चला जाता है तो आप बिल्कुल भी चिंता ना करें, बल्कि उस पल को जियें. मेरी कथा आदेश मुक्त रहती है, मैं किसी को ये नहीं कहता हूं कि आप ये काम करो और ये मत करो. मोरारी बापू ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण भी गोपियों संग रासलीला करने के लिए मन को मुक्त रखते थे. मेरे पास बैठने का आनंद तब ही मिलेगा जब आप मेरे सामने अपने आप को बच्चा समझोगे. मैं बच्चों से ज्यादा प्यार करता हूं. उन्होंने कहा कि मैं इससे पहले प्राइमरी स्कूल में बच्चों को पढ़ाने का काम करता था. उस वक्त मैं अपने स्कूल में 40 बच्चों को शांत नहीं रख पाता था, आज 40 हजार लोगों को शांत रख पाने का सामर्थ मुझमें है. और यह सब केवल शून्य मानसिकता का असर है.
तीर्थकरों को पारसनाथ की पावन धरती में मिला मोक्ष
मोरारी बापू ने कहा कि पारसनाथ की इस धरती में आज तक 20 तीर्थकरियों ने मोक्ष को प्राप्त किया है और जिन 20 तीर्थकरों ने मोक्ष पाया है, वह शिखर से भी ऊपर चले गये हैं. कहा कि किसी महापुरुष के करीब आयें, तब पता चलेगा कि उनमें द्वेष है या दया. बापू ने गुरु की महिमा को अद्भुत बताते हुए कहा कि गुरु सूर्य है जो हमेशा हमें प्रकाश देते हैं, हमें जीवंत रखते हैं, लेकिन साथ ही एक निश्चित दूरी भी बनाकर रखते हैं. जीवन में गुरु की महिमा अपरंपार है. मोरारी बापू ने शब्द पर भी व्याख्या की. उन्होंने कहा कि शब्द क्रीड़ा या कोई खेल नहीं, ना ही शब्द कोई व्यापार है. जीवन में शब्द का बहुत बड़ा महत्व है. कहा कि जिसके स्वभाव में निंदा करना है वह व्यक्ति किसी की भी निंदा ही करेगा क्योंकि उसके व्यवहार में ही निंदा करना है. जिंदगी में सहज रहना बहुत बडी बात है. मोरारी बापू ने कथा के दौरान रामकथा से जुड़ी बातों को मनुष्य के जीवन से जोड़कर बताया.
बापू ने किए पारसनाथ टोंक मंदिर के दर्शन
सोमवार की सुबह मोरारी बापू ने अपने कथा वाचन के बाद पारसनाथ पहाड़ स्थित टोंक मंदिर के दर्शन के लिए निकल पड़े. उन्होंने पारसनाथ पर्वत पर बने टोंक मंदिर के दर्शन कर जैन मुनियों से मुलाकात की. इस दौरान अन्य कई श्रद्धालुओं ने भी पारसनाथ पर्वत पर स्थित टोंक मंदिर के दर्शन किए और आशिर्वाद प्राप्त किया.
भजनों की धुन पर झूम उठे लोग
मोरारी बापू के रामकथा के लिए मधुबन के मकर संक्रांति मेला मैदान में वातानुकूलित भव्य पंडाल लगवाया गया है. जहां मोरारी बापू ने बहुत से भजन गाए जैसे जय जय राम जय सिया राम, द्रवहुं सु दसरथ अज़ीर बिहारी. जिसे सुनकर पूरा माहौल भक्तिमय हो उठा, चारों तरफ लोग नाचने लगे, श्रद्धालु भाव विभोर हो गए.