रांची/पटना | 20 जून 2025 : NEET (राष्ट्रीय पात्रता व प्रवेश परीक्षा) 2024 के पेपर लीक मामले में अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग एंगल से जांच शुरू कर दी है। गुरुवार सुबह से ही बिहार और झारखंड के कई ठिकानों पर सघन छापेमारी चल रही है।
इस सिलसिले में पटना में डॉ. शिव कुमार और रांची में सिकंदर यादवेंदु के आवास पर ईडी की टीमें जांच कर रही हैं। दोनों का नाम NEET पेपर लीक गिरोह में सामने आ चुका है। सूत्रों के अनुसार, यह कार्रवाई बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (EOU) की प्रारंभिक जांच और गिरफ्तारियों के बाद हुई है।
🕵️♂️ किसके यहां हुई कार्रवाई?
- डॉ. शिव कुमार (पटना): NEET घोटाले से जुड़े प्रमुख आरोपियों में शामिल हैं। उनके क्लिनिक व आवास पर छापेमारी की गई।
- सिकंदर यादवेंदु (रांची): पूर्व में बिहार सरकार के जूनियर इंजीनियर रह चुके सिकंदर को हजारीबाग पेपर लीक मामले में गिरफ्तार किया गया था। फिलहाल जमानत पर बाहर हैं। ईडी की टीम ने रांची के बरियारपुर इलाके में उनके आवास पर कार्रवाई की।
सूत्रों का कहना है कि मुख्य आरोपी संजीव मुखिया के कई रिश्तेदारों के ठिकानों पर भी तलाशी अभियान चलाया जा रहा है।
📂 मामला क्या है?
पिछले साल झारखंड के हजारीबाग के एक निजी स्कूल से NEET परीक्षा का प्रश्नपत्र लीक होने की घटना ने पूरे देश में सनसनी फैला दी थी। जांच में सामने आया कि परीक्षा से पहले छात्रों को उत्तर सहित प्रश्नपत्र उपलब्ध कराए गए थे। इस मामले में सिकंदर यादवेंदु, डॉ. शिव कुमार और संजीव मुखिया समेत कई लोगों की संलिप्तता पाई गई।
EOU ने इस मामले में कई गिरफ्तारियां की थीं। इसके बाद ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया और यह जांच अपने हाथ में ली।
🔍 सिकंदर यादवेंदु का रसूख और भूमिका
सिकंदर यादवेंदु को राजनीतिक संबंधों और रसूखदार नेटवर्क के लिए जाना जाता है। उन पर आरोप है कि उन्होंने प्रभाव का उपयोग कर छात्रों के माध्यम से लाखों रुपये की वसूली की और पेपर लीक सिंडिकेट का संचालन किया।
पिछले वर्ष EOU ने सिकंदर के घर की भी तलाशी ली थी। अब ईडी की टीम यह पता लगाने में जुटी है कि पेपर लीक से जुड़ी रकम का उपयोग या निवेश कहां किया गया।
🧾 ईडी की नजर में मनी ट्रेल
- बैंक खातों की जांच
- संदिग्ध लेन-देन और संपत्ति
- रिश्तेदारों के नाम से खरीदी गई संपत्तियों की सूची
- अन्य राज्यों से संभावित लिंक
📌 आगे क्या?
NEET जैसे राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा में हुए इस घोटाले को लेकर अब ED की जांच निर्णायक मोड़ पर पहुंच रही है। एजेंसी जल्द ही आरोपियों से पूछताछ कर मनी ट्रेल और फंडिंग सोर्स को सार्वजनिक कर सकती है।
NEET पेपर लीक मामले में अब जांच का दायरा केवल परीक्षा केंद्र और छात्रों तक सीमित नहीं रह गया है। अब यह स्पष्ट होता जा रहा है कि यह एक संगठित अपराध था, जिसमें प्रशासनिक, राजनीतिक और कारोबारी लोगों की भूमिका संदिग्ध रही है। ईडी की जांच से अब मनी लॉन्ड्रिंग, हवाला नेटवर्क और अकाउंटिंग फ्रॉड जैसे गहरे पहलू सामने आने की उम्मीद है। सवाल यह भी है कि क्या इस गिरोह के तार अन्य राज्यों तक फैले हुए हैं?