Bokaro: झारखंड के विभिन्न इलाकों में नवरात्रि की पूजा बहुत ही धूमधाम और विधि विधान के साथ की जाती है। थोड़ी-थोड़ी दूर में स्थान बदलने के कारण पूजा की परंपराओं में भी बदलाव देखने को मिलता है। झारखंड के बोकारो जिले के चास प्रखंड के कोलबेंदी गांव में आयोजित दुर्गापूजा की चर्चा पूरे झारखंड में होती है, यहां दुर्गा पूजा मनाने की विधि 16 दिनों तक की जाती है। 16 दिनों तक भक्ति मां की पूजा करते है तथा 17वें दिन देवी-देवताओं की प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाता है। 302 वर्ष पुरानी नवरात्र की परंपरा को आज भी कोलबेंदी के लोग अपनी पुरानी विधि से ही मनाते आ रहे है। परंपरा के अनुसार जितिया पर्व के पारण के दिन कलश स्थापना व बकरा बलि देकर पूजा शुरू की जाती है। पंचमी से नवमी तक प्रत्येक दिन बकरों की बलि दी जाती है। खासकर नवमी के दिन सैकड़ों बकरों की बलि दी जाती है।
भव्य मेले का होता है आयोजन….
गांव के जमींदार ठाकुर किशन देव द्वारा कोलबेंदी के दुर्गा मंदिर की स्थापना की गई थी। 10 देवी-देवताओं की प्रतिमाओं का निर्माण एक ही पटरा पर किया जाता है। मूर्तियों का निर्माण मूर्तिकार द्वारा मंदिर में ही किया जाता है, इनमें मां दुर्गा के अलावा मां लक्ष्मी, जया, विजया, सरस्वती, श्री गणेश, कार्तिक, महिषासुर आदि की प्रतिमाएं होती है। वाहनों की प्रतिमाएं भी उसी पटरे पर होती है। चास-चंदनकियारी के लोगों के लिए आस्था और शक्ति का प्रतीक है। विजयादशमी के दिन गांव में भव्य मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ भव्य मेले को देखने के लिए उमड़ती है।
मन्नत होती है पूरी…..
कोलबेंदी के दुर्गा मंदिर की मान्यता है कि दुर्गा पूजा के दौरान जो भी भक्त मां दुर्गा से मन्नत मांगते हैं मां उनकी मन्नत जरूर पूरा करती है। मंदिर में पूजा व सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन वर्षों से जमींदार किशन देव के वंशज ही करते आ रहे है।