राष्ट्रीय पत्र लेखन प्रतियोगिता: डिजिटल युग में हस्तलिखित शब्दों का जश्न….

डिजिटल युग में स्क्रीन और कीबोर्ड के प्रभुत्व के बीच, संचार मंत्रालय, डाक विभाग, भारत सरकार, बीआईटी मेसरा के मानविकी और सामाजिक विज्ञान विभाग और छात्र मामलों के डीन के कार्यालय ने मिलकर राष्ट्रीय स्तर की पत्र लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया। इस प्रतियोगिता का उद्देश्य हस्तलिखित संचार की कला को पुनर्जीवित करना और इसकी भावनात्मक एवं सांस्कृतिक महत्ता को सामने लाना था। प्रतियोगिता का विषय था “द जॉय ऑफ राइटिंग”, जिसने प्रतिभागियों को कागज और कलम के माध्यम से अपनी रचनात्मकता और विचार व्यक्त करने का अवसर दिया।

डिजिटल युग में हस्तलिखित संचार की प्रासंगिकता

प्रतियोगिता ने डिजिटल दुनिया में खोते जा रहे हस्तलिखित संचार के महत्व को उजागर किया। प्रतिभागियों ने कलम और कागज के माध्यम से अपने विचारों और भावनाओं को व्यक्त किया, जो डिजिटल माध्यम की तुलना में अधिक व्यक्तिगत और गहराई से जुड़ा हुआ अनुभव प्रदान करता है। इस प्रतियोगिता के माध्यम से हस्तलिखित पत्रों के अपूरणीय आकर्षण और उनकी शाश्वत प्रासंगिकता को सामने लाने का प्रयास किया गया।

प्रतिभागियों की भागीदारी

इस प्रतियोगिता में विभिन्न पृष्ठभूमियों से आए 200 से अधिक विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया। सभी प्रतिभागियों ने हस्तलिखित पत्रों के माध्यम से अपनी रचनात्मकता और भावनाओं को व्यक्त किया।

विजेताओं के लिए पुरस्कार

प्रतियोगिता के विजेताओं की घोषणा एक भव्य समापन समारोह में की जाएगी, जिसका आयोजन संचार मंत्रालय द्वारा किया जाएगा। विजेताओं के लिए आकर्षक पुरस्कार भी निर्धारित किए गए हैं:

  • प्रथम स्थान: ₹50,000
  • द्वितीय स्थान: ₹25,000
  • तृतीय स्थान: ₹10,000

पत्र लेखन के महत्व को बढ़ावा देने का प्रयास

यह आयोजन डाक विभाग के उस राष्ट्रव्यापी अभियान का हिस्सा है, जो पत्र लेखन को एक सार्थक और स्थायी संचार माध्यम के रूप में बढ़ावा देने के लिए समर्पित है। प्रतियोगिता ने प्रतिभागियों को पत्र लेखन के स्पर्शात्मक और भावनात्मक पहलुओं को पुनः खोजने के लिए प्रेरित किया, जिससे इस माध्यम के प्रति एक नई सराहना उत्पन्न हुई।

आयोजन की देखरेख और योगदान

प्रतियोगिता का आयोजन बीआईटी मेसरा के मानविकी और सामाजिक विज्ञान विभाग के सहायक प्रोफेसर श्री मृणाल पाठक, सहायक प्रोफेसर डॉ. रोहित पांडे और छात्र मामलों के एसोसिएट डीन डॉ. योगेंद्र अग्रवाल के निर्देशन में किया गया। आयोजन टीम ने इस कार्यक्रम को सफल बनाने में योगदान देने वाले सभी प्रतिभागियों, संकाय सदस्यों और भागीदारों के प्रति आभार व्यक्त किया।

डिजिटल युग में पत्र लेखन की प्रासंगिकता

यह प्रतियोगिता न केवल पत्र लेखन की लुप्त होती कला को पुनर्जीवित करने का माध्यम बनी, बल्कि इसने यह भी रेखांकित किया कि बढ़ती डिजिटल दुनिया में मानवीय संबंधों को प्रामाणिक बनाए रखने में पत्र लेखन की स्थायी प्रासंगिकता कितनी महत्वपूर्ण है।

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