‘आदित्य एल-1’ के लॉन्चिंग में बोकारो के नरेश कुमार का भी है बड़ा योगदान..

Jharkhand: चंद्रयान-3 की सफलता पूर्ण परिणाम के कुछ दिन बाद भारत ने शनिवार को अपने पहले सूर्य मिशन ‘आदित्य एल-1’ को लॉन्चिंग किया। इसरो के रॉकेट पीएसएलवी से लॉन्चिंग किया गया। सूर्य के अध्ययन के लिए ‘आदित्य एल-1’ को धरती से 15 लाख किलोमीटर दूर ‘लैग्रेंजियन -1′ बिंदु तक पहुंचने में 125 दिन लगेंगेञ वहां पहुंचने के बाद सूर्य के अध्ययन के लिए आदित्य एल-1’ निर्धारित कार्य पर कार्यरत हो जाएगा। बता दें कि इस मिशन में योगदान देने के लिए झारखंड के बोकारो निवासी वैज्ञानिक नरेश कुमार भी शामिल है। फिलहाल वह इसरो में कार्यरत है।

नरेश के घर में है खुशी का माहौल…
‘आदित्य एल-1’ लॉन्चिंग के साथ ही वैज्ञानिक नरेश के बारु गांव स्थित घर पर खुशियों का माहौल है नरेश के परिवार वाले नरेश पर गर्वानवित महसूस कर रहे है। बीएसएल- सेल के स्कूल से शिक्षक के पद से रिटायर पिता कृष्ण मुरारी महतो ने पुरे गांव में लड्डू बांट कर खुशियां मनाई तो मां सोनिया देवी ने बोकारो के सेक्टर- 2 सी स्थित आवास में उपग्रह की आरती उतारी।

नरेश ने कर दिया गांव का नाम रोशन…
गांव में भी चारों ओर खुशी का माहौल है गांव के लोग नरेश के माता और पिता को बधाई दे रहें है। पूरा गांव नरेश की इस उपलब्धि पर गर्व महसूस कर रहे है। ग्रामीणों का कहना है कि नरेश के गांव वापस लौटने पर जोरदार स्वागत किया जाएगा, जश्न का आयोजन करेंगे और साथ ही गांव की तरफ से नरेश को सम्मानित किया जाएगा। जिसके लिए अभी से तैयारी की जा रही है।

13 साल से इसरो में कर रहे हैं काम…
नरेश के पिता कृष्ण मुरारी महतो ने का कहना है कि एक के बाद उपलब्धि हर तरफ से बधाईयों का तांता लगा हुआ है। पहले चंद्रयान-3 प्रोजेक्ट और अब ‘आदित्य एल-1’ के बाद सारी खुशी का कोई ठिकाना ही नहीं है। नरेश कुमार इसरो के प्रमुख केंद्र “विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र” के गुणवत्ता आश्वाशन विभाग में 13 वर्ष से कार्यरत है। वह रॉकेट के यांत्रिक उप-प्रणालियों के समायोजन व परीक्षण के लिए उत्तरदायी है। प्रमोचन स्थल पर रॉकेट के विभिन्न भागों का एकीकरण करके उन्हें प्रमोचन के लिए तैयार करने में आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में स्थित “सतीश धवन अंतरीक्ष केंद्र” की अह भूमिका है।

बचपन से ही थे मेधावी छात्र…
अपने विद्यालय में मेधावी छात्र रहे नरेश ने बोकारो इस्पात विद्यालय 2 ए से दसवीं व बीआईएसएसएस 3 से बारहवीं की परीक्षा पास कर साल 2007 में नरेश ने ‘औद्योगिक अभियांत्रिक एवं प्रबंधन” शाखा में टॉपर करते हुए जेएसएसएटीई, बैंगलोर से बीई की पढ़ाई पूरी की। “महिंद्रा एण्ड महिंद्रा (ट्रैक्टर विभाग) में नौकरी किया। इसके बाद पुणे में टाटा मोटर्स मैं अपना योगदान दिया, और फिर साल 2009 में इसरो में काम करने का मौका मिला।

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