झारखंड में म्यूटेशन की प्रक्रिया बाधित: अंचलाधिकारियों की कार्यशैली से राजस्व को भारी नुकसान…..

झारखंड के भू-राजस्व विभाग को म्यूटेशन (दाखिल-खारिज) के मामलों में अंचलाधिकारियों (सीओ) की कार्यप्रणाली के कारण भारी राजस्व हानि हो रही है. आंकड़ों के मुताबिक, राज्य के 268 अंचलों में म्यूटेशन के कुल 20 लाख आवेदन प्राप्त हुए थे, जिनमें से लगभग 10 लाख, यानी आधे से अधिक, आवेदनों को सीओ ने अस्वीकृत कर दिया है.

राजस्व उगाही में गिरावट

वित्तीय वर्ष 2024-25 में भू-राजस्व विभाग ने 1.70 लाख करोड़ रुपये की राजस्व वसूली का लक्ष्य रखा था, लेकिन अभी तक केवल 30 हजार करोड़ रुपये ही वसूले जा सके हैं. राजस्व विभाग के अधिकारियों के अनुसार, म्यूटेशन की प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी और आवेदनों के अस्वीकृत होने से विभाग को यह नुकसान हुआ है.

पारदर्शिता लाने के प्रयास

विभागीय मंत्री दीपक बिरुआ ने इस समस्या के समाधान के लिए कदम उठाए हैं. उन्होंने म्यूटेशन प्रक्रिया को सुगम और पारदर्शी बनाने के निर्देश दिए हैं. नई व्यवस्था के तहत सीओ द्वारा रिजेक्ट किए गए मामलों की सूचना ऑनलाइन माध्यम से वरीय अधिकारियों तक पहुंचेगी. इससे उच्च अधिकारी अस्वीकृत मामलों की समीक्षा कर सकेंगे.

राइट टू सर्विस एक्ट के बावजूद समस्याएं

म्यूटेशन प्रक्रिया ‘राइट टू सर्विस एक्ट’ के अंतर्गत आती है, जो नागरिकों को सेवाएं समय पर देने की गारंटी देता है. इसके बावजूद, आवेदकों को महीनों तक अंचल कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते हैं. राजधानी रांची के नामकुम, कांके और रातू अंचलों में 2,000 से अधिक आवेदन अस्वीकृत किए गए हैं. अन्य प्रभावित अंचलों में पाकुड़ सदर, गोविंदपुर, चास और हजारीबाग सदर शामिल हैं.

सीओ के फैसले के बाद अपील की कमी

म्यूटेशन आवेदनों को रिजेक्ट करने का अधिकार सीओ के पास होता है. हालांकि, सीओ के फैसले के बाद अधिकांश आवेदक सक्षम अधिकारी, जैसे भूमि सुधार उपसमाहर्ता (डीसीएलआर), तक अपनी अपील नहीं पहुंचा पाते. विभाग अब इस प्रक्रिया को डिजिटल बनाने पर विचार कर रहा है, ताकि सभी रिजेक्ट किए गए मामले डीसीएलआर तक ऑनलाइन पहुंच सकें और उनकी समीक्षा हो सके.

बारकोड से रसीद काटने की सुविधा

राजस्व, निबंधन और भूमि सुधार मंत्री दीपक बिरुआ ने कहा कि अपनी जमीन की रसीद कटाने के लिए नागरिकों को कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते हैं. इसे देखते हुए, राज्य सरकार बारकोड की सुविधा शुरू कर रही है. इससे लोग मोबाइल के जरिए अपनी जमीन की रसीद काट सकेंगे और कार्यालय जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

अन्य सुधारों की दिशा में कदम

मंत्री बिरुआ ने खासमहाल जमीन के नवीनीकरण और सैरात वसूली की प्रक्रिया को सरल बनाने के निर्देश भी दिए हैं. उन्होंने जमीन से संबंधित अन्य कार्यों को ‘राइट टू सर्विस एक्ट’ के दायरे में लाने की बात कही.

जमशेदपुर में बकाया वसूली का मामला

बैठक के दौरान जमशेदपुर की कंपनियों से 2,000 करोड़ रुपये की बकाया वसूली का मुद्दा भी सामने आया. मंत्री ने संबंधित अधिकारियों को तत्काल कार्रवाई करने के निर्देश दिए.

हरमू नदी पर कब्जे का मामला

बैठक में हरमू नदी के किनारे अवैध कब्जे का मुद्दा भी उठाया गया. मंत्री ने कहा कि इस कब्जे के कारण नदी समाप्त होने की स्थिति में पहुंच गई है. उन्होंने इस पर कार्रवाई के लिए विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए.

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