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पुरानी सोच से आगे बढ़ बेटियों ने मां के अर्थी को दिया कंधा..

गिरिडीह- झारखंड के गिरिडीह जिले में पुरानी मान्यताओं को नया रूप देने का काम आज की बेटियों ने किया है। अपनी मां की अंतिम यात्रा में मां की अर्थी को 4 बेटियों ने कंधा दिया। जब मृतक मां की अर्थी लेकर बेटियां निकलीं तो गांव के लोग आश्चर्य होकर देखने लगे। मौके पर पारिवारिक सदस्य भी मौजूद थे। दरअसल, महिला की हार्ट अटैक आने के कारण उसकी मौत हो जाने के बाद शव को कंधा देने के लिए पारिवारिक सदस्य तैयार नहीं हुए। हालांकि, बाद में चचेरे भाई ने मृतक महिला के शव को मुखाग्नि दी।

पूरा मामला गांडेय ब्लॉक के गजकुंडा पंचायत के तहत सरौंन गांव का है। गांव में रहने वाली सांझो देवी महिला की हार्ट अटैक आने से मौत हो गई, जिसके बाद उनके शव को कंधा देने के लिए उनके परिवार, रिश्तेदार तैयार नहीं हुए। क्योंकि, पैतृक जमीन में हिस्सेदारी को लेकर मृतका और रिश्तेदारों का विवाद चल रहा था।

बता दें कि, मृतक महिला सांझो देवी के पति दुखन पंडित की पहले ही मौत हो चुकी है। उनकी 4 बेटियां है। जो कि शादी होने के बाद सभी अपने ससुराल में रहती हैं। जब बेटियों को मां की मौत की जानकारी मिली तो चारों बेटियां गौरी देवी , सुगवा देवी , बूंदा देवी और देवकी देवी अपने मायके पहुंची थी। जमीन विवाद के वजह से पारिवारिक रिश्तेदार महिला की मौत के बाद शव को कंधा देने के लिए तैयार नहीं हुए थे।

तब इस दौरान चारों बेटियों ने अपने परिवार के चाचा और अन्य रिश्तेदारों से लाख मिन्नतें की, लेकिन कोई भी पारिवारिक पुरुष इसके लिए तैयार नहीं हुए। ऐसे में अंत में बेटियों ने अपनी मां के शव को कंधा देकर अंत्येष्टि के लिए श्मशान घाट तक लेकर गई। इस दौरान चचेरे भाई ने आगे आकर मृतक महिला के शव को मुखाग्नि दी। हालांकि अंतिम क्रिया के दौरान चारों बेटिया श्मशान घाट के पास ही मौजूद रही।

पिता के साथ छोड़ देने के बाद मां थी, अब मां के भी दुनिया से चले जाने पर अब चारों बेटियां अकेली हो गई हैं। चारों बेटियों को अपनी मां को कंधा देकर श्मशान घाट तक पहुंचानें की घटना पूरे मोहल्ले में चर्चा का विषय बना हुआ है। ग्रामीण चारों बेटियों के गौरांवित काम से उन्हें बेटियां कहने के बजाय बेटा कहकर संबोधित कर रहे हैं।