झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) की सीजीएल 2023 के प्रश्न पत्र लीक मामले ने झारखंड में बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। इस मामले में 1200 से अधिक अभ्यर्थी झारखंड हाई कोर्ट का रुख करने की तैयारी कर रहे हैं। उनका कहना है कि इस मामले में सीबीआई जैसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच होनी चाहिए, ताकि दोषियों को सजा मिल सके और सच्चाई सामने आ सके।
सीआईडी जांच पर भरोसे की कमी
फिलहाल प्रश्न पत्र लीक मामले की जांच झारखंड पुलिस की सीआईडी के विशेष जांच दल (एसआईटी) के नेतृत्व में हो रही है। जांच टीम की निगरानी डीजीपी अनुराग गुप्ता स्वयं कर रहे हैं, और एसआईटी का नेतृत्व सीआईडी की डीआईजी संध्या रानी मेहता और एसपी निधि द्विवेदी कर रही हैं। इसके बावजूद अभ्यर्थियों का कहना है कि एसआईटी की जांच में पारदर्शिता नहीं है। अभ्यर्थियों ने एसआईटी को ठोस सबूत दिए थे, जिसमें पांच मोबाइल फोन, व्हाट्सएप चैट और टेलीग्राम संदेश शामिल थे। इन मोबाइल फोन्स में उन अभ्यर्थियों के वीडियो और फोटो हैं, जिन्हें परीक्षा शुरू होने से पहले ही उत्तर दिए गए थे।
परीक्षा के दौरान गड़बड़ियों का आरोप
झारखंड स्नातक स्तरीय संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा 2023 का आयोजन 21 और 22 सितंबर को हुआ था। इस परीक्षा में 6.40 लाख से अधिक अभ्यर्थियों ने भाग लिया और राज्य भर में 823 परीक्षा केंद्र बनाए गए। परीक्षा के दौरान प्रश्न पत्र लीक की खबरें सामने आईं, जिसके चलते प्रशासन को कई जगहों पर इंटरनेट सेवाएं बंद करनी पड़ीं। हाई कोर्ट ने इस स्थिति पर कड़ी नाराजगी जताई थी।
सीबीआई जांच की मांग
अभ्यर्थियों का कहना है कि उन्हें एसआईटी की जांच प्रक्रिया पर भरोसा नहीं है। उन्होंने सीबीआई जांच की मांग करते हुए आरोप लगाया है कि दोषियों को बचाने की कोशिश की जा रही है। उनका मानना है कि सिर्फ सीबीआई जैसी स्वतंत्र और निष्पक्ष एजेंसी ही मामले की सच्चाई उजागर कर सकती है।
हाई कोर्ट में दाखिल होगी याचिका
अभ्यर्थी अब झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करने की तैयारी कर रहे हैं। उनका कहना है कि न्याय पाने के लिए वे हरसंभव कदम उठाएंगे। याचिका में सीबीआई जांच के साथ-साथ भविष्य में प्रतियोगी परीक्षाओं को पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ आयोजित करने की व्यवस्था की मांग की जाएगी।
भविष्य की परीक्षाओं पर मंडराया संकट
इस पूरे विवाद ने झारखंड में प्रतियोगी परीक्षाओं की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अभ्यर्थी चाहते हैं कि इस मामले में दोषियों को सख्त सजा मिले, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।
न्याय की उम्मीदों के साथ संघर्ष जारी
1200 से अधिक अभ्यर्थियों के संघर्ष और उनकी मांग ने राज्य में हलचल मचा दी है। अब सभी की नजरें झारखंड हाई कोर्ट पर टिकी हैं, जहां से इस मामले में अगला कदम तय किया जाएगा।