रांची। झारखंड में इस साल मानसून की रफ्तार धीमी पड़ गई है। राज्य के कई हिस्सों में पिछले कुछ दिनों से बारिश की गतिविधियां लगभग थम गई हैं। हालांकि मौसम विभाग का कहना है कि अगले कुछ दिनों में राज्य के कुछ इलाकों में हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है, लेकिन फिलहाल किसी बड़े मौसम अलर्ट की जरूरत नहीं है।
मौसम विज्ञान केंद्र, रांची की रिपोर्ट के अनुसार, शुक्रवार को रांची और आसपास के इलाकों में बादल छाए रहे और कहीं-कहीं बूंदाबांदी दर्ज की गई। राजधानी रांची का अधिकतम तापमान 28.4 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 23.4 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। बीते 24 घंटों में रांची में केवल 0.4 मिमी वर्षा दर्ज की गई, जबकि पश्चिमी सिंहभूम के चाईबासा में सबसे अधिक 2.6 मिमी वर्षा हुई।
राज्य के कुछ जिलों में दिखी बारिश की कमी
मौसमी आंकड़ों के अनुसार, गिरिडीह और चतरा जिलों में बारिश में भारी कमी दर्ज की गई है। गिरिडीह में सामान्य से 60% कम बारिश हुई है, जबकि चतरा में यह आंकड़ा 27% है। दूसरी ओर पूर्वी सिंहभूम में सबसे अधिक 865.4 मिमी वर्षा हुई है, जो सामान्य से 150 मिमी अधिक है।
आगामी दिनों का मौसम पूर्वानुमान
मौसम विभाग ने 13 जुलाई को राज्य के कुछ हिस्सों में गरज के साथ हल्की बारिश की संभावना जताई है। 14 और 15 जुलाई को अधिकतर जगहों पर मौसम शुष्क रह सकता है। इसके बाद 17 और 18 जुलाई को भी राज्य के अलग-अलग जिलों में बादल छाए रहने और छिटपुट बारिश की संभावना है।
राजधानी रांची का हाल
मौसम विभाग के अनुसार, रांची और उसके आसपास के क्षेत्रों में 16 जुलाई तक आसमान में बादल छाए रहेंगे। हल्की से मध्यम बारिश की संभावना जताई गई है। रांची का अधिकतम तापमान 29 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 24 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने का अनुमान है।
जिलेवार तापमान
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साहिबगंज: अधिकतम 33°C
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बोकारो: अधिकतम 31°C
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सरायकेला: अधिकतम 32°C
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गिरिडीह, कोडरमा, हजारीबाग: अधिकतम 29°C
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सिमडेगा, गुमला: न्यूनतम 23°C
किसानों के लिए राहत की उम्मीद
मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि मानसून की सुस्ती के बावजूद किसानों को घबराने की जरूरत नहीं है। स्थानीय प्रभावों के कारण हल्की वर्षा की संभावना बनी हुई है, जिससे खेतों में नमी बनी रहेगी।
मौसम विभाग का बयान
मौसम विज्ञान केंद्र, रांची के प्रमुख वैज्ञानिक ने बताया कि “फिलहाल किसी बड़े अलर्ट की आवश्यकता नहीं है। मानसून की सक्रियता कम जरूर है, लेकिन बंगाल की खाड़ी से आने वाली नमी की वजह से स्थानीय वर्षा की गतिविधियां होती रहेंगी।”