Jharkhand: बंगाल की खाड़ी में बने लो प्रेशर और ओडिशा में आये चक्रवाती तूफान के कारण झारखंड में मानसून सक्रिय है। जिसके कारण राज्य के कई जिलों में अच्छी बारिश हो रही है। पिछले 24 घंटे में राज्य के कुछ स्थानों पर गर्जन के साथ हल्के से मध्यम दर्जे की बारिश हुए। वहीं कुछ स्थानों पर भारी वर्षी भी हुई है। ऐसे में राज्यभर में मानसून की गतिविधि समान रही। इस दौरान सबसे अधिक बारिश 65.4 mm रामगढ़ में में दर्ज की गई। सबसे अधिक उच्चतम तापमान 36.8 डिग्री सेल्सियस गढ़वा में, जबकि सबसे कम न्यूनतम तापमान 23.8 डिग्री सेसि रांची में दर्ज किया गया।
ओडिशा से उठा है चक्रवात….
औसत समुद्र तल पर मानसून टर्फ लाइन अभी गंगानगर, हिसार, अलीगढ़, ओराई, सीधी, डाल्टनगंज, दीघा से होकर गुजर रही है और वहां से दक्षिण-पूर्व की ओर बंगाल की पूर्वी मध्य खाड़ी तक गई है और औसत समुद्र तल से 0.9 किमी ऊपर तक फैली है। वहीं एक साइक्लोनिक सर्कुलेशन उत्तर-पश्चिमी बंगाल की खाड़ी और निकटवर्ती उत्तरी ओडिशा के गंगा तटीय पश्चिम बंगाल के तटों पर स्थित है और ऊंचाई के साथ दक्षिण की ओर झुकते हुए औसत समुद्र तल से 5.8 किमी ऊपर तक फैला हुई है। अगले 2-3 दिनों के दौरान इसके उत्तरी ओडिशा और आसपास के गंगीय पश्चिम बंगाल और झारखंड में पश्चिम- उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ने की संभावना है। इसके अलावा 18 जुलाई के आसपास बंगाल की उत्तर-पश्चिमी खाड़ी के ऊपर एक और ताजा साइक्लोनिक सर्कुलेशन बनने की संभावना है। झारखंड में इसका असर आगे एक-दो दिनों में रहेगा। इन सबसे कारण झारखंड में अच्छी बारिश होने की उम्मीद है।
7 दिनों तक मौसम रहेगा खराब….
मौसम केंद्र रांची ने एक चार्ट जारी कर झारखंड में अगले 7 दिनों तक के मौसम का हाल बताया है। मौसम विभाग के मुताबिक, आज से राज्य में कुछ स्थानों पर गर्जन के साथ हल्के से मध्यम दर्जे की बारिश की संभावना है। इस दौरान आसमान में बादल छाए रहें और एक से दो बाद हल्के से मध्यम दर्जे की वर्षा होगी। यह स्थिति 24 जुलाई तक रहेगी. इस दौरान कहीं-कहीं वज्रपात की भी आशंका है। इसे लेकर मौसम विभाग ने येलो अलर्ट जारी किया है और लोगों से सावधान रहने की अपील की है।
बारिश से है किसान खुश….
जिन जिलों में अच्छी बारिश हुई वहीं किसानों के चेहरे खिले हुए दिखे। पिछले दिनों हुई बारिश से खेतों में पानी भरने से किसानों के चेहरे खिल उठे है। किसानों ने धान की रोपाई शुरू कर दी है। किसानों ने बताया कि यह बारिश किसानों के लिए संजीवनी बूटी से कम नहीं है। किसान पिछले कई दिनों से बारिश की आस लगाए बैठे थे, बारिश न होने से खेतों में दरारें पड़ रहीं थीं। कुछ किसानों की धान की बिचड़े सूखने की कगार पर थी। कुछ किसान निजी संसाधनों का इस्तेमाल कर धान की बिचड़े बचाने में जुटे थे। बारिश से क्षेत्र के कई किसानों के निचले इलाके के खेतों में पानी भरने से धान की रोपाई करने में जुट गए है।