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मनरेगा घोटाला: पूजा सिंघल पर बिना काम 18 करोड़ के भुगतान का आरोप, ईडी ने की जांच की मांग….

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनरेगा घोटाले की आरोपी और निलंबित आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल पर कार्रवाई करने के लिए राज्य सरकार से स्वीकृति मांगी है. इस मामले में पूजा सिंघल पर आरोप है कि उन्होंने खूंटी के जिलाधिकारी (डीसी) रहते हुए फरवरी 2009 से जुलाई 2010 के बीच बिना किसी काम के 18 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया था. यह घोटाला मनरेगा के तहत की गई अनियमितताओं से जुड़ा हुआ है. ईडी ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 218 का हवाला देते हुए राज्य सरकार से पूजा सिंघल पर कार्रवाई करने की अनुमति मांगी है. वर्तमान में पूजा सिंघल निलंबन मुक्त हो चुकी हैं और वे वेटिंग फॉर पोस्टिंग में हैं. यह मामला लंबे समय से चर्चा में है और पूजा सिंघल पर घोटाले में शामिल होने का गंभीर आरोप है.

हाईकोर्ट में पूजा सिंघल की याचिका

इधर, पूजा सिंघल ने इस मामले में हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. उनकी याचिका में कहा गया था कि उनके खिलाफ ईडी को राज्य सरकार से अभियोजन स्वीकृति प्राप्त नहीं हुई है, इसलिए मामले को निरस्त किया जाए. उनका तर्क था कि किसी भी सरकारी अधिकारी के खिलाफ आपराधिक मामले की सुनवाई से पहले अभियोजन स्वीकृति आवश्यक है, लेकिन ईडी ने इस प्रक्रिया का पालन नहीं किया. पूजा सिंघल ने अदालत से यह मांग की थी कि उन्हें न्याय मिलना चाहिए और इस मामले को खारिज किया जाए. हाईकोर्ट ने इस याचिका पर 3 जनवरी 2025 को सुनवाई की थी, और सुनवाई के बाद अदालत ने ईडी से जवाब मांगा था. अब इस मामले पर आगे की सुनवाई की तारीख तय की जाएगी.

मनरेगा घोटाले की शुरुआत

मनरेगा घोटाले का यह मामला 2011 में सामने आया था, जब निगरानी विभाग ने खूंटी जिले में मनरेगा के तहत काम किए बिना 18 करोड़ रुपये का भुगतान किए जाने की जांच शुरू की थी. आरोप है कि पूजा सिंघल, जो उस समय खूंटी जिले की डीसी थीं, ने इस घोटाले को अंजाम दिया. उनके खिलाफ निगरानी विभाग ने पहले प्राथमिकी दर्ज की थी, जिसमें दो अभियंताओं को भी आरोपी बनाया गया था. पूजा सिंघल पर आरोप है कि उन्होंने सरकारी धन का दुरुपयोग करते हुए बिना किसी वास्तविक काम के मनरेगा के तहत यह भुगतान किया. इस घोटाले को लेकर कई अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों पर भी जांच की गई है.

ईडी ने किया गिरफ्तार

प्रवर्तन निदेशालय ने पूजा सिंघल को 11 मई 2022 को गिरफ्तार किया था. गिरफ्तारी के बाद राज्य सरकार ने उन्हें तत्काल निलंबित कर दिया था. पूजा सिंघल करीब 28 माह जेल में रहने के बाद 7 दिसंबर 2024 को जमानत पर रिहा हो गईं. हालांकि, इस मामले में उनकी मुसीबतें अभी खत्म नहीं हुईं हैं और ईडी की जांच अभी भी जारी है. ईडी द्वारा पूजा सिंघल पर किए गए आरोपों में यह भी शामिल है कि उन्होंने राज्य सरकार की वित्तीय सहायता का गलत तरीके से उपयोग किया और मनरेगा की राशि का दुरुपयोग किया. इस मामले में उनके खिलाफ कई जांच एजेंसियां सक्रिय हैं, और उन्हें एक गंभीर आर्थिक अपराधी माना जा रहा है.

राज्य सरकार की भूमिका

राज्य सरकार ने इस मामले में अपनी भूमिका पर प्रतिक्रिया दी है, लेकिन अब तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है. यह देखा जा रहा है कि राज्य सरकार इस मामले में किस दिशा में कार्रवाई करती है, क्योंकि ईडी ने पहले ही राज्य से पूजा सिंघल पर कार्रवाई की स्वीकृति मांगी है.

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