रांची: झारखंड में कुपोषण की गंभीर समस्या से निपटने के लिए राज्य सरकार ने नई दिशा में ठोस कदम उठाए हैं। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर जानकारी दी कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में सरकार कुपोषण को जड़ से मिटाने और माताओं-बच्चों को सशक्त बनाने की दिशा में सतत प्रयास कर रही है।
डॉ. अंसारी ने कहा, “जब राज्य के नौनिहाल और हमारी माताएं मजबूत और सशक्त होंगी, तभी हमारा स्वस्थ झारखंड आगे बढ़ पाएगा। कुपोषण में कमी लाने तथा स्वास्थ्य, तंदुरुस्ती और रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करने की दिशा में हमारी सरकार पूरी गंभीरता से कार्य कर रही है। यह बदलाव कुछ ही महीनों के प्रयास का परिणाम है और आने वाले दिनों में स्वास्थ्य विभाग में व्यापक बदलाव देखने को मिलेंगे, जिससे आम जनता को सीधा लाभ मिलेगा।”
कुपोषण: एक सामाजिक अभिशाप
स्वास्थ्य मंत्री ने कुपोषण को समाज के लिए “एक अभिशाप” बताया और कहा कि यह राज्य के विकास के लिए एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी के मार्गदर्शन में स्वास्थ्य विभाग इस चुनौती से निपटने के लिए हर संभव प्रयास करेगा।
बच्चों के विकास में पोषण की भूमिका
डॉ. अंसारी ने कहा कि बच्चों को अपनी संपूर्ण शारीरिक और मानसिक क्षमता तक पहुंचने के लिए संतुलित और पर्याप्त पोषण आवश्यक है। उन्होंने बताया कि “पोषण न केवल बच्चों के विकास में बल्कि मानव संसाधन, आर्थिक उत्पादकता और सतत विकास में भी अहम भूमिका निभाता है।”
सदर अस्पताल सिमडेगा को सराहना
मंत्री ने सिमडेगा स्थित सदर अस्पताल के कुपोषण उपचार केंद्र की सराहना करते हुए कहा कि यह केंद्र बच्चों को कुपोषण से मुक्त कर रहा है और साथ ही माताओं को भी पोषण शिक्षा देकर रोजगार से जोड़ने का कार्य कर रहा है। उन्होंने वहां की पूरी टीम को बधाई दी और सरकार की ओर से हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया।
सामूहिक प्रयास की आवश्यकता
मंत्री अंसारी ने राज्यवासियों से आह्वान किया कि वे इस प्रयास में भागीदार बनें। उन्होंने कहा, “आइए, हम सभी यह संकल्प लें कि झारखंड का हर बच्चा और हर मां पौष्टिक भोजन पाए और एक स्वस्थ भविष्य की ओर अग्रसर हो। आज का बेहतर पोषण ही कल का उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित करेगा।”
राज्य सरकार की इस पहल को सामाजिक संगठनों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों से भी सराहना मिल रही है। यह उम्मीद की जा रही है कि यदि इस दिशा में निरंतर कार्य होता रहा तो आने वाले वर्षों में झारखंड को कुपोषण मुक्त बनाना संभव होगा।