मिलिए बोकारो की आयरन लेडी से, 60 साल की उम्र में भी महिलाओं की है मजबूत ढाल..

उम्र 60 साल से भी अधिक.. लेकिन जज्बा 16 की उम्र वाला| और यहीं जोश और जज्बा सरस्वती देवी को आयरन लेडी की पहचान देता है| आपको जानकार हैरानी होगी कि उम्र के इस पड़ाव पर आकर भी सरस्वती देवी आज महिलाओं की लोहे जैसी मजबूत ढाल हैं| 60 वर्ष से ज्यादा उम्र होने के बावजूद सरस्वती देवी हर दिन महिलाओं की समस्या निवारण के लिए 15 से 20 किलोमीटर साइकिल चलाती हैं|

जिले के कसमार प्रखंड स्थित करमा गांव की रहने वाली सरस्वती देवी शोषण व प्रताड़ना झेल रही महिलाओं के लिए सहारा हैं| परेशानी कोई भी हो, हर पीड़ित महिला के लिए वो ढाल बनकर खड़ी हो जाती हैं| और यही कारण है कि इस क्षेत्र में लोग उन्हें आयरन लेडी के नाम से जानते हैं|

कसमार प्रखंड विभिन्न गांवों की महिलाएं बताती हैं कि सरस्वती देवी की वजह से यहां की महिलाओं को काफी हिम्मत मिलती है|इस क्षेत्र में डायन प्रथा के खिलाफ भी उन्होंने काफी काम किया है| इसके अलावा घर परिवार में प्रताड़ित किशोरी और महिलाओं की हक की लड़ाई वो कई बार लड़ चुकी हैं|
ना सिर्फ शोषण व प्रताड़ना बल्कि प्रखंड के अलग-अलग गांवों की महिलाओं को उन्होंने समूह बनाकर पैसे की बचत करना सिखाया ताकि छोटी बड़ी जरूरत के लिए उन्हें किसी के आगे हाथ फैलाने की जरूरत न पड़े| सरस्वती देवी का मानमा है कि जब तक महिलाएं अपने अधिकार के प्रति जागरूक नहीं हो जातीं तब तक महिलाओं का शोषण खत्म नहीं हो पाएगा| उनका कहना है कि महिलाओं को अपने अधिकार के बारे में पता होना चाहिए तब वह घर परिवार और समाज से अपने अधिकार के लिए लड़ सकेंगी| इसलिए वो महिलाओं को जागरूक करने का ही काम करती हैं| इसके अलावा महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए उनके किसी के आगे हाथ फैलाने की मजबूरी को खत्म करना होगा| इसके लिए वो महिलाओं का समूह बनाकर उन्हें पैसे की बचत करने के लिए प्रेरित करती हैं|

बड़ी बात ये है कि सरस्वती देवी महज 14 वर्ष की उम्र से ये लड़ाई लड़ती आ रहीं हैं| उन्होंने पहली लड़ाई अपनी ममेरी बहन के लिए लड़ी थी| उस समय से आज तक जंग जारी है| हक की इस लड़ाई में अड़चन ना आए इस कारण उन्होंने शादी नहीं की| सरस्वती देवी का कहना है कि वो मरते दम तक महिलाओं को जागरूक करने और उनकी लड़ाई लड़ने का काम करती रहेंगी|