झारखंड अलग राज्य आंदोलन के एक -एक आंदोलनकारी को पूरा मान- सम्मान और अधिकार देने का राज्य सरकार ने संकल्प ले रखा है। इस आंदोलन के अंतिम पंक्ति में शामिल आंदोलनकारियों को भी चिन्हित कर उनका हक दिया जाएगा। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने आज झारखंड अलग राज्य आंदोलन के सभी आंदोलनकारियों के चिन्हितीकरण के शुभारंभ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही । इस मौके पर उन्होंने आंदोलनकारी चिन्हितीकरण आयोग के “लोगो ” और ‘आवेदन प्रपत्र” का विमोचन किया। इसके द्वारा आंदोलनकारियों की नए सिरे से पहचान कर सूचीबद्ध किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि नया आवेदन प्रपत्र काफी सरल बनाया गया है, ताकि हर आंदोलनकारी आसानी से अपने दावे को आयोग के समक्ष समर्पित कर सके ।
आजादी की लड़ाई से कम नहीं है अलग राज्य के लिए हुआ आंदोलन..
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड की धरती ने कई वीर सपूतों को जन्म दिया है, जिन्होंने देश के लिए खुद को न्योछावर कर दिया । उन्होंने यह भी कहा कि झारखंड अलग राज्य के लिए हुआ आंदोलन भी देश की आजादी की लड़ाई से कम नहीं है । एक लंबे संघर्ष के बाद हमें झारखंड राज्य मिला। इसमें अनगिनत लोगों में अपनी कुर्बानियां दी। कई परिवार कई परिवार शहीद हो गए । यह राज्य उनकी शहादत को कभी भूल नहीं सकता है। ऐसे सभी आंदोलनकारियों हम पूरा मान -सम्मान देंगे।
आंदोलनकारियों ने दृढ़ संकल्प के साथ अलग राज्य के सपने को साकार किया..
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब झारखंड अलग राज्य आंदोलन की शुरुआत हुई थी तो लोगों को लगा था कि आदिवासी समुदाय के लिए यह असंभव सा है । लेकिन, आदिवासी और धरती पुत्र पूरे दृढ़ संकल्प के साथ आंदोलन को धार देते रहे और आखिरकार झारखंड अलग राज्य के रूप में अपने सपने को साकार करने में कामयाब रहे।
राज्य तो मिला, लेकिन चुनौतियां कई थी..
मुख्यमंत्री ने कहा कि लंबे संघर्ष और आंदोलन के बाद हमें अलग राज्य तो मिला, लेकिन उसके साथ कई चुनौतियां भी खड़ी थी। सबसे बड़ी चुनौती झारखंड आंदोलनकारियों को चिन्हित करने की थी । आरंभिक वर्षों में तो मात्र दो हज़ार के लगभग ही आंदोलनकारी चिन्हित किए गए थे । इस आंकड़े को देखकर मुझे लगा कि अलग राज्य के लिए इतना लंबा संघर्ष चला है तो आंदोलनकारियों की संख्या इतनी कम नहीं हो सकती है । मुझे पूरा विश्वास था कि अलग राज्य के आंदोलन में हजारों- हजार लोगों ने अपना पूरा तन- मन झोंक दिया था। ऐसे में आंदोलनकारियों को कैसे मान- सम्मान और अधिकार से अलग रखा जा सकता है। इस पर गंभीरता से मंथन करते हुए मैंने झारखंड आंदोलनकारियों की पहचान के लिए नया स्वरूप बनाया है, ताकि सभी को सूचीबद्ध कर उन्हें सरकार से मिलने वाले लाभ से जोड़ा जा सके।
आंदोलनकारी का पुत्र होने का गर्व है..
मुख्यमंत्री ने कहा कि बतौर मुख्यमंत्री वे इस कार्यक्रम को संबोधित कर रहे हैं, लेकिन उनकी पहचान एक आंदोलनकारी का पुत्र होने के नाते है । इसका मुझे गर्व है। राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में नहीं , आंदोलनकारी का बेटा के रूप में आपको अधिकार और सम्मान दिलाएंगे। उन्होंने आंदोलनकारियों से कहा कि आपकी तकलीफ को कम करने में सरकार अहम भूमिका निभाएगी । इसके साथ राज्य के विकास में जो भी बाधाएं होंगी, आप सभी के सहयोग से उसे दूर करते हुए नया झारखंड बनाएंगे।
दशकों से पलायन कर चुके आदिवासियों से लौटने का आग्रह..
मुख्यमंत्री ने कहा कि सदियों से आदिवासियों के साथ शोषण होता आया है । वे हमेशा से ही हाशिये पर रहे हैं। इस वजह से यहां के कई आदिवासी परिवार पलायन करने को मजबूर हो गए ।लेकिन, अब आदिवासियों को पूरा हक और अधिकार सरकार देगी । उन्होंने पलायन कर चुके आदिवासियों से कहा कि वे वापस लौटे। उन्हें सरकार जल , जंगल जमीन समेत सभी सुविधाएं मुहैया कराएगी।
राज्य की खनिज संपदा पर यहां के लोगों का होगा अधिकार..
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड खनिज – संपदा से भरपूर राज्य है ।लेकिन, हमेशा से ही यहां के खनिज संपदा का दोहन कोई और करता रहा है। जबकि, यहां के लोग इससे वंचित रहे । अब ऐसा नहीं होगा। यहां के खनिज और खदानों पर राज्य और राज्य की जनता का अधिकार होगा। इसके बाद ही किसी को अन्य को इसके उपयोग करने की इजाजत होगी । इसके लिए सरकार ने बकायदा नियम भी बना लिया है।
शिक्षा व्यवस्था को किया जा रहा है दुरुस्त..
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने का काम हो रहा है । पांच हज़ार मॉडल स्कूल बनाए जा रहे हैं । इन स्कूलों में पढ़ाई का स्तर उच्च कोटि के निजी विद्यालयों की तरह होगा । सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चे किसी भी मायने में निजी विद्यालयों के बच्चों से कम नहीं होंगे।
अब पेंशन में सीमा की कोई बाध्यता नहीं है..
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने सार्वभौम पेंशन योजना लागू की है। उसमें हर योग्य लाभुक को पेंशन मिलेगा । पेंशन को लेकर संख्या की कोई सीमा नहीं होगी । सभी बुजुर्ग, दिव्यांग, परित्यक्ता, विधवा और एकल महिला को पेंशन योजना से जोड़ा जा रहा है। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर सरकार की कल्याणकारी योजनाओं से भी आंदोलनकारियों को अवगत कराया।
इस अवसर पर राज्य सभा सांसद शिबू सोरेन, कृषि मंत्री बादल पत्रलेख, विधायक सुदिव्य कुमार सोनू और राजेश कच्छप, आंदोलनकारी चिन्हितीकरण आयोग के अध्यक्ष दुर्गा उरांव तथा सदस्य भुवनेश्वर महतो एवं नरसिंह मुर्मू, पद्मश्री मधु मंसूरी हंसमुख, मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का, मुख्यमंत्री के सचिव विनय कुमार चौबे और सभी जिलों से आए आंदोलनकारी मौजूद थे।