कड़ी मेहनत के बाद भी मैंगो दीदी को नहीं मिल रहा आम का सही दाम..

गर्मियों का मौसम मतलब आम का सीजन। आम की कुछ खास बात रही है तभी तो इसे “दि किंग ऑफ फ्रूट्स” कहते हैं। हर साल भारत में अच्छी मात्रा में आम मार्केट में आता है। वहीं इस साल खूंटी में 7000 एकड़ में आम की बागवानी हुई है । आम की बागवानी ने खूंटी की महिलाओं को अलग पहचान दिया है। इन महिलाओं को मैंगो दीदी के नाम से जाना जाने लगा है। ये महिलाएं पहले गरीबी की मार झेलने को मजबूर रहती थी लेकिन सरकार द्वारा कुछ सरकारी प्रोत्साहन का लाभ उठाकर अपने हौसलें और अपनी मेहनत के दम पर मैंगो दीदी की पहचान बना ली है। लेकिन इस साल महिलाओं की कड़ी मेहनत को सही दाम नहीं मिल रहे। इस बार मैंगो दीदी का आम का व्यापार थोड़ा ठंडा है।

खूंटी जिले के खुशबू गांव नलिनी महिला समिति ने बिरसा मुंडा आम बागवानी और मनरेगा जैसी सरकारी योजनाओं का फायदा उठाकर आम के लगभग 2000 से भी अधिक पेड़ लगाएं। यह आम उतर प्रदेश से लेकर छत्तीसगढ़ के बाजारों में पहुंचता रहा है। लेकिन इस बार उनके आम के सही दाम नहीं लग रहे। खूंटी जिला पहले नक्सलवाद के कारण पहचाना जाता था लेकिन अब मैंगो दीदी के कारण मशहूर है। पहले यहां की जमीन बंजर थी पर कुछ सालों के मेहनत से 20 एकड़ में आम का बगीचा है।

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